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सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि कल ता० २९-६ – १२शनिवारको सायङ्काल के ६ बजे आर्य समाज भवन कैसरगंज में श्रीमान् स्वामी दर्शनानन्द जी महाराज, कुंबर दिग्विजय सिंहजी के प्राजके व्याख्यानका खं डन करेंगे कृपा कर अवश्य पधारें ॥ जयदेव शर्मा मन्त्री -६-१२ आर्य समाज अजमेर
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ता० २८
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बांटना प्रारम्भ कर दिया था जिससे कि हमारे सुज्ञ भाई भली भांति स मझ सक्ते हैं कि उनको सत्यासत्य से कुछ प्रयोजन नहीं केवल उनके सिद्धा: न्त के विरुद्ध जो कुछ कहा जाय उस पर जिस तिस प्रकार कुछ कहकर पवलिक को यह दिखला देना मात्र इष्ट है कि हमने उसका खण्डन कर दिया । कुंवर साहब के व्याख्यान समाप्त हो जाने पर द्वितीय दिवस के कार्यक्रमकी दे जय जयकार ध्वनि से सभा समाप्त हुई ।
सूचना
शनिवार २ जून १८१२ ईस्वी ।
प्रातः काल से मध्यान्ह तक श्री जी की रथ यात्रा और नगर कीर्तन बड़े साज सामान और धूम धाम से हुआ । श्रीजी के रथके आगे कई मंजन मण्ड लियां कुरीति निवारक और जैनतत्त्व प्रदर्शक भजन व्याख्या और ताल स्वर से गाकर सर्व साधारण पर बड़ा प्रभाव डालती थीं । ब्राज़ प्रातःकाल की डाक गाड़ी से श्रीमान् स्याद्वाद्वारिधि वादिगजकेसरी पंडित गोपालदासजी वरैय्या श्रौर न्यायाचार्य्य पंडित माणिकचन्द जी पधारे और झाप लोगों से कुछ पूर्व बाबू अर्जुन लाल जी सेठी वी० ए० आदि ।
कुछ समय हुआ कि स्वामी दर्शनानन्द जी सरस्वती ने अपने “जैनी पंडितों से प्रश्न" शीर्षक उर्दू पैम्फलट में बीस प्रश्न जैन विद्वानों से किये थे जिस का कि उत्तर श्री जैन तत्त्व प्रकाशिनी समाके तृतीय वार्षिकोत्सव पर ता० 9 अप्रैल को कुंवर दिग्विजय सिंह जी ने दिया था। वह प्रश्नोत्तर वाद श्री जैन तत्त्व प्रकाशिनी सभा की ओर से पैम्फलट रूप में तारीख १ जून को प्रकाशित किये गये जिनपर कि स्वामीजी महाराजने जैनी पण्डितों के प्रश्नो त्तरों की समीक्षा" शीर्षक समीक्षा लिखने का कष्ट किया और श्रीजैन तत्त्व प्रकाशिनी सभाके “सृष्टि कर्तृत्व मीमांसा, नामक ट्रैक्ट नम्बर १२ के मारम्भ के कुछ भाग को लेकर "जैनमत समीक्षा, नामक छोटासा ट्रैक्ट उस के