________________
न्यायरत्नर्पण. .....फिर जहोरी दलिपसिंहजीने अपनी किताबके पृष्ट (५) पर लिखा है आजदिन श्री वा. जयचंद्रजीगणीने जंबूद्वीपपन्नतिमे (१३) मासका अभिवर्द्धित संवछरमें एक युगके पांच संवत्सर जिनके (१२४) पक्ष (१८३०) दिन ५४९०० मुहुर्त यह पाठ दिखाया सो इस पाठसे तो अधिकमास गिनतीमें प्रमाण है.
( जवाब ) इस पाठमें अभिवर्द्धित संवत्सरका स्वरुप बतलाया है, मगर ऐसा कहां लिखा है कि चातुर्मासिक, वार्षिक या कल्याणिकपर्वके व्रतनियममें अधिक महिनेकी गिनतीमें लो, अगर आप जंबूद्वीप पज्ञप्तिके पाठसे अधिक महिना गिनतीमें प्रमाण मानते है, तो बतलाइये ! जब दो आषाढ आते है, आपलोग पहिले आषाढमें चौमासा क्यों नही बेठाते? इसका कोई जवाब देवे, चौमासा आपलोगभी दुसरे आषाढमें बेठाते है, अब ख्याल किजिये! आपका अधिक महिना गिनतीमें प्रमाण कहां रहा ? चौमासा चार महिनेका होता है. फाल्गुनसे आषाढ तक जो चौमासा गिने तो पहले आषाढकी चतुर्दशीको चौमासिक प्रतिक्रमण करना चाहिये और करते है दुसरे आषाढकी शुक्ल चतुर्दशीको, इससे साबीत हुवा अधिक महिनेको गिनतीमें नहीं लिया, देखिये ! यह किसकदर मजबूत दलील है कि जिसका जवाब देना दुसवार होगा. .. . दुसरी मिशाल यहहै कि जब दो श्रावण आवे तो बतलाइये! तीर्थकर नेमिनाथजीके जन्मकल्याणिककी तिथि श्रावण सुदी पंचमी आप कौनसे श्रावण महिनेमें कायम करेगे? पहलेमें या दुसरेमे ? अगर पहलेमें करेंगे तो दुसरा श्रावण छुटेगा. और अगर दुसरेमें करेगे तो पहेला छुटेगा, अगर दोनोमे करेगे तो पुनरुक्तता आयगी? इसका कोई खुलासा करे. . .. आगे जहोरी दलिपसिंहजीने उक्त किताबके (५)में पृष्टपर इस मजमूनको पेश किया है कि-आपको तो अपने लेख मानवधर्मसं