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जंगलधर ( जंगल देश के बादशाह कहाते हैं) जैसे उनके
राजचिन्ह में लिखा रहता है ।
जांगल देश की राजधानी अहिछत्रपुर थी जिसको इस समय नागोर कहते हैं और जो जोधपुर के उत्तरी विभाग में है ।
श्रीमाल (भिन्नमाल ) से जांगल देश बहुत समीप हैं । अतएव वहां से चलकर लोगों का जांगल देश में जाना बहुत संभवनीय है | [सं० ११७५-७६ ] ।
पद्मावती के संबंध में अमी विद्वानों का मतभेद है परंतु भवभूति के वर्णानुसार सब बातें सिंध पार्वति नदियों के संगम पर बसे हुए ग्वालियर राज्यांतगर्त " महुवा " स्थान पर दिखाई देती है। संभवनीय है कि यहीं पर प्राचीन पद्मावती नगर बसा हो । कप्पसूरि विरचित पट्टावली में ( बि. सं. १४०२ की ) लिखा है कि एक समय पद्मसेन राजा ने इस नमरी में बहुत बडा यज्ञ करना चाहा । उसके वास्ते असंख्य पशुओं को बलिदान देने के वास्ते एकत्रित किये। यह समाचार जब स्वयंप्रभ सूरि को मिला तो वे स्वयं वहां गये । उस समय वहां ८४ महाजन ज्ञातियां इकट्ठी हुई थी । उनमें प्राग्वाट भी थे। इन सबको प्रतिबोध देकर सुरीश्वर ने यज्ञ से विमुख किये । और जैन बनाये
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