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भा० कस्तूरा सु० हरजी भा० सरसती सं० हीराचंद भा० वीरा सु० हंसराज बिंब कारापितं सूरिश्वर......... .. ।
. उक्त लेखों से ज्ञात होता है कि इनोंने संग भी निकाले हैं इनकी बनी गढी के दो बुरुज देवास में अब भी शेष हैं और वह स्थान खेडा नाम से प्रसिद्ध होकर वहां पर अब भी इसी कुल के वंशजों का निवास है। यह खेडे की गढी देवास के पुराने राजप्रासाद के बिलकुल निकट है । यह कुल देवास राज्य की सेवा कई शताब्दियों से करता आया है और कर रहा है। इन लोगों के पास पुराने समय में सवार आदि रहते थे और स्वामिकार्य के लिये इनोंने समयानुसार अपने प्राण भी धोके में डाले हैं । आज कल इस कुल में बहुत लोक उच्चशिक्षा पाये हुए हैं और पवार सरकार की सेवा में दत्तचित रहते हैं। सरकार से भी पुरानी जागीर नेमणुक, दामि आदि अब भी उदर पोषण को यथा योग्य मिलते हैं । इस पुस्तक का लेखक स्वयं इन्दौर डेली कॉलेज में शिक्षक तथा ग्वालियर राज्यांतर्गत राजा साहब पहाड़गड़ तमा, राजासाहब लद्वार के शिक्षक बथा मार्डियन (संरक्षक) रहे है। इसी के भीतुन जाकिमसिहंजी भी एक सुपौष व्यक्ति है। आपने इन्दौर डेली कोलेज में शिक्षा पाई है। आप भी