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१६ गडर देवी प्रभृति कुटुम्ब समन्वितैः श्री परमा१७ नंद सूरिणामुपदेशन सं. १३३८ श्री वासुपूज्य१८ देव कुलिका । सं १३४५ श्री समेत शिखर१९ तीर्थं मुख्य प्रतिष्ठा महा तीर्थ यात्रां विधाप्या२० त्म जन्म एवं पुण्य परंपरया सफली कृतः २१ तदद्यापि पोसिना ग्रामे श्री संघेन पूज्यमान२२ मस्ति || शुबभस्तु श्री श्रमण संघ प्रसादतः ॥
उज्जयनी के बीसा पोरवाड ।
आजसे-लगभग ३०० वर्ष पूर्व से ५० वर्ष पूर्व तक उज्जयनीके पोरवाडों के पारसी तथा गुजराती भाषा के लिखे कवाले जो उपलब्ध हुए हैं उन पर से तथा वृद्ध सजातियों के स्वनिरिक्षित वर्णन पर से मानने में कोई हरकत नहीं कि आजसे पचास साठ वर्ष पूर्व तक वहां के पौरवालों की बहुत अच्छी स्थिति थी । उज्जयनी में आज जहां [ कार्तिक चौक में ] भोई लोगों का निवास स्थान हैं वहां पहिले सब पोरवाड रहते थे । राजा की ओर से उन को बहुत सन्मान मिलता था, एवं वे श्रीमान तथा राजमान्य भी थे । उनमें से कई लोगों को
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