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१२७ राणपुर का विहार संवत १४९६ में बंधवाया गया ! उस समय गुहिल वंशी राणा कुंभकर्ण मेवाड के राणा थे। गुहिल वंश में ये ४१ वें राणा थे।
राणपुर प्रशस्ति क अनुसार धरणासा रत्नासा की वंशावली।
सं. मागर [ मांगण ] कुरपाल [ भा. कामलदे]
धरणा
सं. रत्ना [भा. रत्नादे]]
५
RT.
जावा.
जावडा.
पोसिना का श्रेष्ठि उहड का वंश।
. इस वंश में उहड ने पांदपरा ग्राम में [उंदिर] वसहि का चैत्य था। श्री महावीर की प्रतिमा बनाई। इन के पुत्र ब्रह्मदेव, शरणदेव में से पहिलेने वि. सं. १३०५ में नेमिनाथ