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दांतों से अपनी जीभ चबाकर वह मर गया। राजाने तेजपाल को बहुत पुरस्कार दिया।
___एक समय चार पुरुषों ने दिल्ली से आकर वस्तुपाल को सूचना दी कि, मोजदीन सुरत्राण ( मोईजुद्दीन बहरामशाह पश्चिम दिशा की ओर से सैन्य लेकर रवाना हुआ है। मंत्री ने तुरंत उन लोगों को वीरधवल के पास भेजा तब उन्होंने मंत्री ही को इस विषय का प्रबंध करने को नियत किया । इसने अर्बुद गिरी के नायक धारावर्ष से कहलाया कि जब यवन सेना दक्षिण की ओर आजावे तो वह घांटों को रोक दे। उसने वैसा ही किया । वस्तुपाल अचानक उन पर तूट पडा । यवन तोबा तोबा कर इधर उधर भागने लगे, परंतु मार्ग रुके थे। निदान वे मारे गये । वस्तुपाल ने उनके ( तच्छीर्षल क्षैः शकटानिमत्वा ) लाखों मुंड छकडे में लदवाकर लाये और वीरधवल को दिखाए ।
जावालीपुर [ जबलपुर ] में उदयसिंह नाम का चौहान राजा राज्य करता था। उसके तीन भाई बेटे थे। जिनके सामंतपाल, अनंतपाल, ओर त्रिलोकसिंह थे अपनी आजीविका न्यून होने के कारण वे वीरधवल के पास से वार्थी आए। राजा को इन वीर राजपूतों की आकृति, तेज और उद्यमशीलता पसन्द आई; परंतु जब वेतन के लिये पूछा तो उन्होंने एक लाख द्रम मांगे। इस पर राजा ने कहा कि इसने द्रव्य