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वस्तुपाल की विजय के कारण नगर में महोत्सव हुआ । मंत्री गांव बाहर ' एकत्रवीरा ' देवी के दर्शनार्थ जब गया तब हाथी घोडे तो कम थे परंतु उसके दर्शनार्थ आये हुए नगर वासि इतने थे कि मार्ग में न समाए ।
अब तेजपाल के युद्ध का वर्णन भी सुन लीजिये:
महीतट ( महीकांटा ) नाम के देश का घुघुल नामा राजा गोद्रेह (गोद्रा ) में राज्य करता था । वह गुजरात में आते जाते व्यापारियों को लूटता था और वीरधवल की एक न मानता। इन दोनों भाइयोंने एक समय इस के पास दूत भेजा और कहलाया कि वीरघवल की आज्ञा मानी जाय; परंतु उत्तर में उसने एक काजल की डिबियां और एक जनानी धोती भेज दी। राणाने बीडा रखवा कर उसे उठवाकर घुघुल से लड़ने का आदेश दिया, तब दर्बार में वह बीडा वस्तुपालने ग्रहण किया। वह सेना लेकर रवाना हुआ। उसके थोडे अगुआ सिपाहियोंने जाकर घुघुल के ग्वालों को पीटा और उनकी गायें पकड लीं । घुघुल को समाचार मिलते ही वह सेना लेकर तेजपाल से संग्राम करने को उद्यत हुआ और बडे पराक्रम से मंत्री की सेना का सामना किया। अंत में द्वंद युद्ध में वह तेजपाल से हार गया और कैद करालिया गया । वह काजल की डिबियां उस के गले में बांधी गई और धोती उसे पहनाई गई । घुघुलको बडी लज्जा हुई और अपनी