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"Vimalshaha a Porwad Merchant Prince of Anhilpur Pattan, purchased a part of Mt. Abu for as many silver coins as covered the ground He bought and spent 55 lacs of Rupees in levelling the side of a hill and then built a temple didicated to Adinath which cost him 18 crores of rupees.
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भावार्थ:- अणहिलपुर पट्टण का लक्ष्मी - पुत्र विमलशाह पोरवाड ने आबू के ऊपर की जमीनपर रुपे बिछाकर उतने ही मूल्य में ली । उसे साफ करने में तथा खरीद ने में ५६ लाख रुपे व्यय हुए । तदनंतर वहां आदिनाथ [ ऋषभ देव का मंदिर ] अठराह करोड रुपये व्यय करके बनवाया ।
इस मंदिर के बनाने में इतना व्यय हुआ हो या न हुआ हो परंतु आज ऐसे कई करोड व्यय करने पर भी ऐसा मंदिर नहीं बन सकता । अस्तु ।
एक शिलालेख पालिताना के सुमतिनाथ के मंदिर की माधोलाल धर्मशाला में वि. सं. १७०२ का उपलब्ध हुआ है वह विमल को नाग गोत्रीय बताता है । यह नाग गोग उन्हीं प्रख्यात विमल शाह का होना संभवनीय है कि जिनोंने आबूपर विमल वसही मंदिर बनवाते समय " नागराज बालीनाथ " को अपने खांडेके बल वश किया था । नागराज को वश करने के कारण इन का नाग गोत्र बन जाना असंभव - नीय नहीं । इस लेख में आगे जो वंशावली दी है वह स्पष्ट