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है। वस्तुपाल के मंदिर से यह और भी बढा चढा है। इस में मुख्य मूर्ति ऋषभ देवकी है । इसके दोनों ओर एक एक बड़ी मूर्ति है। मुख्य मदिर के सामने विशाल सभा मंडप ओर चारों तरफ छोटे छोटे जिनालय हैं। और भी यहां धातु तथा पाषाण की कई मूर्तियां हैं । इस मंदिर की कारागिरी की जितनी प्रशंसा की जावे उतनी ही कम होगी । स्तंभ, तोरण, गुंबज, सभामंडप, छत, दरवाजे आदि सब जगह कारागिरी की असीम सीमा की गई है। कर्नल टॉड लिखते हैं कि:
___“ भारत भर में इस मंदिर की बनावट सर्वोत्तम है। एवं जो उद्गार वस्तुगल तेजपाल के मंदिर के वास्ते निकले हैं वैसेही किंबहुना अधिक इसके लिये निकलते हैं। इस के बनने के प्रायः देढसो वर्ष पश्चात् मंदिर के सामने हस्तिशाला बनी है। इसमें द्वार के सामने बिमलशाह की अश्वारुढ मूर्ति बनी है। हस्ती शाला में संगमर्मर की दस हथनियां * हैं जिनपर पुरुष सवार थे परन्तु अब
* हस्ति १ स० १२०४ फागुण सु०१० शनादिने महामात्य श्री निनु कस्य.
शनि ,, ,, श्री लहर कस्य. शनो ,, , श्री वीर कस्य. , , श्री नेढ , , महामात्य श्री धवल,,
श्री आनंद,
. श्री पृथ्वी पालस्य. आषाढ सुदि ८ बुध दिने पउन्तार [?] ठ. जगदेवस्य
" महामात्य श्रीधनपालस्य ... ... ... ... ... ...
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