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यदि श्रीमाल पुराण पर बिश्वास किया जावे तो पोर-वाड [ प्राग्वाट ] पुरुरवा के भेजे हुए क्षत्रिय अवश्य हैं, और उन्हें पुरुरवा के पुत्र कहे हैं । पुरुरवा अनि कुल में ३४ वे राजा थे अर्थात पोरवाड अनि कुलके हुए | अग्निकुल के उत्पादक श्री वशिष्ट ऋषि थे। एवं अग्निकुल का गोत्र 'वषिष्ट' हैं । अर्थात् पोरवाड महाजन वषिष्ट गोत्रीय हुए ।
यदि पुरुरवा के भेजे हुए दस हजार योद्धा माने जावें तों वे सम्मिलित क्षत्रिय होना निश्चित होता है । अतः श्रीमाली गोरों के बताये हुए ऊपरी गिदर्शित गोत्रों में कुछ सत्य का अंश प्रतीत होता है; परन्तु निश्चित रूपसे अभी कुछ भी निर्णय पोरवाडों के गोत्रों के संबंध में नहीं हो सकता ।
चरित्रादि ।
विमल शाह ।
विमल शाह का विश्वसनीय चरित्र आजतक उपलब्ध नहीं हुआ। उनके समकालिन किसी लेखक ने उनका चरित्र नहीं लिखा तो भी जैन समाज तथा आबूके उनके जगत्प्रासद्ध मंदिर को देखने वालों की स्मृती से विमल शाह का नाम नहीं मिट