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(त्रिस्तुतिपरामर्श.) ताकातहै इसपाठकों गलत कहसके, ? चाहे कोइ हजारचतराइकरे मगर शास्त्रकेसामने किसीकीचतराइ नही चलशकती. मुंहसेकहतेहो-मुनिलोगोंकों निस्पृहता रखना चाहिये-मगरदेखो ! आवश्यकसूत्रके मूलपाठमें तीर्थकर गणधर क्या ! फरमागयेहै ? उसपर खयालकरो, देवीदेवताकी चोथीथुइकेलिये तो इतनी बातेंबनातेहो फिर इसपाठकों प्रतिक्रमणमें हरहमेश क्यों बोलतेहो ?
तीनस्तुतिप्राचीनताकिताब सफह अवलपरलिखाहै आजकलश्रावकोंमे ऐसाभ्रम हुवाहै, तीनस्तुतिकामत तीसवर्षसे प्रचलितहुवा,
और राजेंद्रसरिजीनेनिकालाहै, क्यौं ! नहो ! ! क्योंकि-आजकल पीतांबरोंका अधिकप्रचारहोनेसे होनाहीचाहिये, ___ (जवाब.) पीतांबरोंका अधिकप्रचारहीतो लेखककों नागवार गुजरताहोगा, लेखकबहुतही जोरलगातेहै मगर पीतांबर संवेगीसाधुलोग उनका जोर चलनेनहीदेते, जहांजहां सवेगीसाधुमहाराजोका विचरनाहोताहै वहांवहां तीनथुइका फैलाव होसकतानही, बल्किन् ! कमीहोता है. देखलो महाराजश्री झवेरसागरजीने मुल्कमालवेमें तीनथुइकेप्रचारकोरोका, और ब-मुकाम रतलाममें मध्यस्थोंकीसभाकरके तीनथुइका परामर्शकिया, महाराजश्री आत्मारामजी-आनंदविजयजीने-मुल्क गुजराततर्फ-चतुर्थस्तुति निर्णयकिताबबनाकर तीनथुइके प्रचारकोंरोका, और विद्यासागर ब-जरीये अपनीकलमकेरोकरहेहै. जिसकीताकातहोसामने आवे और प्रतिक्रमणमें तीनथुइकरना किसीमूत्रकी पंचांगीमें दिखलावे, पीतांबरोंकानाम लेखककों अछा-न-लगताहोगा, ! मगर खयालकरे ! पीतांवरोनेक्याक्याकरदिखलायाहैसुरतमेभी जोचारस्तुतिवालोकीतरकीरही बदौलतपीतांबरोंहीकीरही, फिरलेखक पैसाक्यौं-न-लिखे ? लिखेहीलि, खेमगर यादरहे पीतांवरनामखिलाफकानुनजैनशास्त्रकेनही, जैनसाधुकों नयाकपडामिलेतों-कथा-चुनावगेराके रंगसेरंगलेवे, यहवात मिशीथसूत्रके