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(त्रीस्तुतिपरामर्श.) इस किताबकों अवलसें अखीरतक गौरके साथ देखे, इसमें बहुत कुछ बातें एसी मिलेगी जो तुमकों आइंदे फायदेमंद होगी,
(२) (बयान वज्रस्वामी और देवर्डि गणि क्षमा
श्रमणवगेरा जैनाचार्योंका,-) प्रश्नोत्तरपत्रिका पृष्ट (३) पर बयान हैकि-वज्रस्वामी-देवदिगणि क्षमाश्रमण-जिनदत्तमूरि-हीरविजयमूरि-वगेराकों उत्तम पुरुषोमें जानना,
___(जवाब,) जिनकों उत्तम पुरुष जानना उनके फरमानेपर अमलभी करना जरुरीहै, सीर्फ ! उत्तम पुरुष कहनेहीसे काम नही चलता, खयाल करो ! वे-चारस्तुति माननेवालेथे--या-नही,? अगर अगर कहाजाय चारस्तुति माननेवालेथे-तो-फिर चतुर्थस्तुतिको इनकारकरना कौन इन्साफकी बातहुई, ?
(३) ॐ ( जैनाचार्य हरिभद्रसूरि-कालिकाचार्य
और धर्मकीर्तिमूरि-) प्रश्नोत्तरपत्रिका पृष्ट (७) पर मजमनहै-हरिभद्रसूरिने चारस्तुति स्थापन करनेकेलिये ललितविस्तराग्रंथ बनाया, इनोंसें चैत्यवंदन चारस्तुति करनेका मत निकला.
(जवाब.) चार स्तुति जैनशास्त्रोंमें कदीमसें चली आतीहै, हरिभद्रसूरिजीने नयीजारी नहीं किई, ललितविस्तराग्रंथ ·उनोने ‘आमजैनकोंमकों वास्ते फायदेके मुरत्तिब किया, कोइनयीबात उसमें
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