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कर्म का विज्ञान प्रश्नकर्ता : जिसे भुगतना है उसका उदय?
दादाश्री : मनुष्यों का उदय, जानवरों का, सभी का। हाँ, सामूहिक उदय आता है। देखो न, हीरोशिमा और नागासाकी में उदय आया था न!
प्रश्नकर्ता : जैसे एक व्यक्ति ने पाप किया, वैसे सामूहिक पाप करते हैं, उसका बदला सामूहिक प्रकार से मिलता है? एक आदमी खुद चोरी करने गया और दस लोग साथ में डाका डालने गए, तो उसका दंड सामूहिक मिलता होगा?
दादाश्री : हाँ, फल सामूहिक मिलेगा, पर दसों लोगों को कमज़्यादा। उनके भाव कैसे हैं, उस आधार पर। कोई व्यक्ति तो ऐसा कहता है कि यह मेरे चाचा की जगह पर मुझे जबरदस्ती जाना पड़ा, ऐसे भाव होते हैं। इसलिए जितना स्ट्रोंग भाव हैं, उस पर से हिसाब सारे चुकाने हैं। बिल्कुल करेक्ट। धर्म के काँटे जैसा।
प्रश्नकर्ता : परन्तु ये जो कुदरती कोप होते होंगे, यह किसी जगह प्लेन गिरा और इतने लोग मर गए और किसी जगह कोई ज्वालामुखी फटा
और दो हज़ार लोगों की हानि हुई, उन सबके एक साथ मिलकर किए गए कर्मों के सामूहिक दंड का परिणाम होगा वह?
दादाश्री : उन सबका हिसाब है सारा। उतने ही हिसाबवाले पकड़े जाते हैं उसमें, कोई दूसरा नहीं पकड़ा जाता। आज मुंबई गया हो और उसके बाद कल यहाँ भूकंप आ जाए और मुंबईवाले यहाँ पर आए हुए हों, और वे मुंबईवाले यहाँ मर जाते हैं, यानी सब हिसाब है।
प्रश्नकर्ता : इसलिए अभी जो इतने सारे जहाँ-तहाँ सब मरते हैं, वे कोई पाँच सौ-दो सौ और ऐसी संख्या में। जो पहले कभी भी इतने सारे, समूह में मरते हुए देखने में नहीं आते थे, तो इतना सारा समूह में पाप होता होगा?
दादाश्री : पहले समूह थे भी नहीं न! अभी तो लाल झंडेवाले निकले हों तो कितने होंगे? ये सफेद झंडेवाले कितने होंगे? अभी समूह