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कर्म का विज्ञान
उसने जिन्हें मारा, वे सब कहाँ से मिले? उसे ये प्लेन कहाँ से मिल गए? यह सब कहाँ से मिला? मिल गया तो मारे, यानी यह कर्मफल था उस बेचारे का? उसका भी फल वापिस नर्कगति आएगा। शास्त्रकारों ने आगे कहा है, यहाँ जो मर गया और जगत् में निंदनीय हो गया तो नर्कगति या जानवर में जाएगा। जगत् में यदि कभी तारीफ के लायक हुए और उसकी ख्याति फैले तो देवगति या बहुत हुआ तो मनुष्य में जाता है! यानी उसका वापिस फल तो आएगा। इसलिए इसे लोगों के तराजू से देख लेना।
सत्ताधीश के हिसाब प्रजा के संग प्रश्नकर्ता : किसी एक देश के सत्ताधीश हैं न, वहाँ के धर्मगुरु कहो कि अभी सत्ता सबकुछ उनके हाथ में है। वे देश के प्रमुख कहलाते हैं अभी। अभी लाखों लोग मर रहे हैं। दुनिया के सभी देशों ने उनसे विनती की कि आप समाधान करो। पर वे समाधान करने को तैयार नहीं है और लाखों लोगों का निकंदन हो ही रहा है। वह कैसा कर्म है? उनके साथ ऋणानुबंध, लाखों लागों के साथ के ऋणानुबंध क्या है?
दादाश्री : वे लोग तो उनके कर्म भोग रहे हैं और वे बाँध नहीं रहे हैं, वे भोग रहे हैं।
प्रश्नकर्ता : और वह जो मार रहा है उसका? दादाश्री : वह तो कर्म बाँध रहा है। वह नर्कगति में जाएगा।
प्रश्नकर्ता : ये सभी मर रहे हैं। उसका निमित्त तो यह मारनेवाला बनता है न? वह किस कारण से?
दादाश्री : निमित्त बनता है और इसलिए वह नर्क में जाएगा।
प्रश्नकर्ता : नर्क में जाएगा वह ठीक है। पर यह हुआ किस तरह? किस हिसाब से हुआ होगा?
दादाश्री : लोगों का हिसाब। उसके साथ का हिसाब नहीं, लोगों ने गुनाह किए थे इसलिए वैसा निमित्त मिल गया।