________________ गुरु और ज्ञानी में इतना अंतर इन सभी गुरुओं का काम क्या होता है ? किस तरह बड़ा बन जाऊँ, गुरुपन बढ़ाऊँ ? लघु की तरफ नहीं जाते। व्यवहार में गुरुता बढ़ती गई, नाम हुआ कि, 'भाई, इनके एक सौ आठ शिष्य हैं। यानी निश्चय में उतना लघु हो गया। लघुत्तम होता जाता है। जब व्यवहार में गुरु होने लगे, तो वह गिरने का संकेत है। मैं अपने आपको पूरे जगत् का शिष्य मानता हूँ और लघुतम स्वरूप हूँ। इसके सिवा मेरा दूसरा कोई स्वरूप नहीं है। 'दादा भगवान', वे भगवान हैं, अंदर प्रकट हुए हैं, वे! - दादाश्री ISBN 978-93-82128.08.3 Rs25 19-7893821280831 Printed in India