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अणहक्क के विषयभोग, नर्क का कारण
खाता रहेगा। इस दुनिया में शील जैसी उत्तम कोई चीज़ है ही नहीं । इस दुनिया में शीलवान जैसी उत्तम चीज़ कुछ भी नहीं ।
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प्रश्नकर्ता : इस काल में किसी के लिए शील का महत्व है ही नहीं, इसलिए शील लुटा है, ऐसा किसी को लगता ही नहीं न ?
दादाश्री : इस काल में लोगों को पहले जैसा शील लूटना भी नहीं आता न? इसलिए बहुत हुआ तो पहले, दूसरे, तीसरे या चौथे नर्क में जाएँगे। इस समय वर्तमान में चार नर्क खुले हैं, वे वहाँ तक जाएँगे। उससे आगे का नर्क बंद हो चुका है। उससे आगे के तो इस काल के लोगों के लिए नहीं है न! ये तो कमज़ोर जीव हैं। आगे के नर्क में जानेवाले तो प्रखर पुरुष और ये तो बेचारे कमज़ोर, इसलिए 'बहन, बहन' कहकर शील लूटें, ऐसे लोग हैं। ये लोग तो 'बहन' कहकर छल-कपट करते हैं। वे लोग ऐसा छल-कपट नहीं करते थे।
प्रश्नकर्ता : छल-कपट दुनिया के साथ या व्यक्ति के साथ ? दादाश्री : दुनिया या व्यक्ति, सभी के साथ । इस काल के जो लोग हैं न, वे तो खुद अपने आपको भी दग़ा देते हैं ।
अपने यहाँ इस सत्संग में ऐसे छल-कपट का विचार आए तो मैं कहूँगा कि यह ‘मीनिंगलेस' (निरर्थक) बात है। यहाँ ऐसा व्यवहार किंचित् मात्र भी नहीं चलेगा। और ऐसा व्यवहार चल रहा है, ऐसा यदि कभी मेरी जानकारी में आया तो मैं जला दूँगा, भयंकर रूप से जला दूँगा। इस जगह पर किंचित् मात्र भी ऐसा नहीं चलेगा, यह संघ ऐसा नहीं होना चाहिए, यहाँ पर ऐसी भूल नहीं कर सकते ।
हमने तो कई ऐसे लोग देखे हैं कि बहनोई होने के • बावजूद भी सगी बहन से जुड़ा हुआ होता है । फिर वह प्रतिदिन बहनोई के वहाँ जाता है। अरे! बहनोई के वहीं पर मुकाम करता है । ऐसे तो मैंने कई केस देखे हैं। मैं उनसे कहता भी हूँ कि, 'अरे! यह क्या धंधा लगाया है ? कौन से जन्म में छूटेगा तू? यदि फिर से ऐसा नहीं करे तो मेरे पास आ जाना, मैं तुझे चोखा कर दूँगा।' इस वर्ल्ड में भले ही कैसे भी गुनाह किए हों,