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अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं-2-१७)
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शादी करना। आशीर्वाद लिए और 'ज्ञानीपुरुष' कहें कि अब तू गृहस्थ जीवन बिताना, फिर 'ज्ञानीपुरुष' से पूछने को रहा ही कहाँ ? फिर ज्ञानीपुरुष को भी एतराज़ नहीं रहेगा। किसी को अंदर ऐसा हो रहा हो कि मुझे इस तरह से तय करना है, तो मैं कह देता हूँ कि 'शादी करना, लेकिन मेरी आज्ञा लेकर शादी करना।' बाद में तेरी ज़िम्मेदारी नहीं क्योंकि शादी करके स्त्री लाए, उसे तो हम कुछ भी करके ज्ञान में ला सकते हैं, लेकिन अगर हरहाए पशु जैसा हो जाए, तो फिर वह यूज़लेस चीज़ है। वहीं पर सब पाखंड हैं। पूरे जगत् का कपट वहीं पर है। जबकि अगर शादी करके लाएगा तो उसमें पाखंड नहीं है, उसमें कपट नहीं है। जगत् के लोग उसकी निंदा नहीं करेंगे।
प्रश्नकर्ता : ब्रह्मचर्य के लिए कुदरत की हेल्प और पिछले संस्कार कुछ काम करते हैं ?
दादाश्री : हाँ, करते हैं। वह तो बहुत संस्कार लेकर आया होता है, आस-पास के घर के लोग अच्छे संस्कारी होते हैं। पूर्व के संस्कार हों, तभी घर के लोग अच्छे मिलते हैं। उसका मन भीतर से इतना मज़बूत होता है और चारों और से सभी संयोग मिल जाते हैं। यह कहीं यों ही कोई गप्प थोड़े ही है? एक इंसान करोड़ रुपये कमाकर लाए तो वह भी गप्प नहीं होती, तो यह भी कोई गप्प है?!
विषय टूटे, विरोधी बनने पर प्रश्नकर्ता : रविवार के उपवास को और ब्रह्मचारियों में क्या कनेक्शन है? उन्हें रविवार का उपवास क्यों करना है?
दादाश्री : वह तो कहने से करते हैं। दादा को सातों ही वारों से कुछ लेना-देना नहीं है, राग-द्वेष नहीं है। वह तो हमारे मुँह से जो निकल जाए वही वार अच्छा और कभी किसी मेज़बान के मन में ऐसा हो कि 'मेरे यहाँ अच्छा-अच्छा खाना