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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
से पहले ही उल्टी कर दे तो कुछ नहीं, लेकिन चूंट नीचे उतर गया तो फिर असर हुए बिना रहेगा ही नहीं। अरे, फिर तो उल्टियाँ करवाने पर भी थोड़ा रह ही जाएगा। वैसा ही इस विषय के संबंध में है! जिसे ब्रह्मचर्य पालन करना हो, उसे विषय संबंधित विचार आएँ तो देखते ही तुरंत प्रतिक्रमण कर लेना चाहिए। उसमें ज़रा सी भी देर हुई और अंदर मंथन हुआ कि मंथन होने के बाद स्खलन होता रहेगा। किसी भी रास्ते, एनी-वे स्खलन हो ही जाएगा।
अपना मार्ग है ही बहुत उच्च न? प्रतिक्रमण का पूरा मार्ग ही उच्च है। आधा घंटा उल्टा चले और यदि जागृत हो जाए तो दो मिनट में ही एकदम से सब फ्रैक्चर कर देगा। यह 'अक्रम विज्ञान' है ही बहुत उच्च कक्षा का। हमने तो निरीक्षण करके अपने अनुभव से यह पूरा विज्ञान रखा है। मेरे कितने ही जन्मों पहले के निरीक्षण होंगे, वह आज आपके अंदर अंकित हो गया।
हमें तो 'एट-ए-टाइम' कितने ही बेहिसाब दर्शन घेर लेते हैं, वाणी में तो कुछ ही निकल पाते हैं और जब आपको समझाते हैं, तब तो कुछ ही निकलते हैं। वह भी संज्ञा में, अंदर जो समझ में आया हो, वैसा तो होता ही नहीं है न?! फिर भी ज्ञानीपुरुष की वाणी है, इसलिए सुननेवाले के लिए क्रियाकारी हुए बिना रहेगी ही नहीं।