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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
पालन करना हो तो सावधान रहना पड़ेगा। वीर्य ऊर्ध्वगामी होने के बाद अपने आप चलता रहेगा। अभी तक वीर्य ऊर्ध्वगामी नहीं हुआ है। अभी भी इसका स्वभाव अधोगामी है। वीर्य ऊर्ध्वगामी हो जाए, तब सबकुछ ऊँचे चढ़ता है। फिर तो वाणी-बाणी बढ़िया निकलती है, भीतर दर्शन भी उच्च प्रकार का खिला हुआ रहता है। वीर्य के ऊर्ध्वगामी होने के बाद दिक्कत नहीं आएगी, तब तक तो खाने-पीने में बहत नियम रखना पड़ता है। वीर्य को ऊर्ध्वगामी होने में तुम्हें मदद तो करनी पड़ेगी या यों ही चलता रहेगा?
प्रश्नकर्ता : मदद करनी पड़ेगी। आहार में क्या क्या बंद कर देना है? तला हुआ, घी, तेल वगैरह बंद कर देना पड़ेगा न?
दादाश्री : कुछ भी बंद नहीं करना है, उसकी मात्रा कम कर देनी है।
प्रश्नकर्ता : चावल, यह ब्रह्मचर्य के लिए बिल्कुल अंतिम आहार है, सही है न?
दादाश्री : नहीं, सिर्फ चावल पर नहीं। वह तो सिर्फ रोटी होगी, कुछ भी होगा फिर भी चलेगा। बाकी कुछ खास प्रकार का फूड नहीं लेने चाहिए। चरबीवाला और ऐसा वैसा आहार नहीं लो तो अच्छा रहेगा।
प्रश्नकर्ता : और, मीठा आहार?
दादाश्री : मिठाई भी नहीं। खट्टा चलेगा लेकिन वह भी हिसाब से, ज़्यादा खट्टा नहीं खाना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : मिर्च?
दादाश्री : थोड़ी थोड़ी खा सकते हैं। मिर्च से अच्छी तो कालीमिर्च। ब्रह्मचर्य पालन के लिए सबसे अच्छी, सौंठ। अपने इन