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न हो असार, पुद्गलसार (खं-2-१३)
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होता है। ऊर्ध्वगमन तो जब ब्रह्मचर्यव्रत लेना तय किया तभी से शुरूआत हो जाती है।
सावधानी से चलना अच्छा। महीने में चार बार हो जाए, फिर भी हर्ज नहीं है। हमें जान-बूझकर डिस्चार्ज नहीं करना चाहिए। वह गुनाह है। अपने आप हो जाए तो उसमें हर्ज नहीं। ये सब तो उल्टा-सीधा खाने का परिणाम है। जान-बूझकर डिस्चार्ज करना, वह भयंकर गुनाह है। आत्महत्या कहलाएगा। ऐसे डिस्चार्ज की छूट कौन देगा? वह भाई कह रहे हैं कि डिस्चार्ज भी नहीं होना चाहिए। 'तब क्या मर जाऊँ? कुएँ में पड़ जाऊँ ?'
प्रश्नकर्ता : डिस्चार्ज हो जाए तो वह गुनहगार बन जाता है, उसे मन में क्षोभ होता है। क्योंकि ये सब ऐसा ही कहते हैं न कि डिस्चार्ज नहीं होना चाहिए।
दादाश्री : वे लोग विषय करते हैं, उसके बजाय तो यह डिस्चार्ज बहत अच्छा। वह दो लोगों को बिगाड़ता है, कुत्ते जैसा तो शोभा नहीं देता!
वीर्यशक्ति का ऊर्ध्वगमन कब? प्रश्नकर्ता : वीर्य का गलन होता है, वह पुद्गल स्वभाव में होता है या फिर कहीं पर हमारा लीकेज हो तब होता है?
दादाश्री : किसी को देखकर तुम्हारी दृष्टि बिगड़ जाए, तब वीर्य का कुछ हिस्सा एकजॉस्ट हो जाता है।
प्रश्नकर्ता : वह तो विचारों से भी हो जाता है।
दादाश्री : विचारों से भी एकजॉस्ट होता है, दृष्टि से भी एकजॉस्ट होता है। वह एकजॉस्ट हुआ माल फिर डिस्चार्ज होता रहता है।
प्रश्नकर्ता : लेकिन ये जो ब्रह्मचारी हैं, उन्हें तो ऐसे कुछ संयोग नहीं मिलते, वे स्त्रियों से दूर रहते हैं, फोटो नहीं रखते,