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विषयी आचरण? तो डिसमिस (खं - 2 -१०)
प्रश्नकर्ता : एक तो, कभी भी विषय से संबंधित दोष नहीं करूँगा और करूँगा तो यह...
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दादाश्री : करूँगा तो तुरंत ही मैं अपने घर चला जाऊँगा । आप्तपुत्रों की यह जगह छोड़कर चला जाऊँगा । आपको मुँह दिखाने के लिए नहीं रुकूँगा ।
और दूसरा ज्ञानीपुरुष की मौजूदगी में झोंका नहीं खाऊँगा किसी भी प्रकार का प्रमाद नहीं करूँगा । ये दो शर्ते लिखकर सब तैयार हो जाओ। यानी कि ब्रह्मचर्य महत्वपूर्ण है।
मैं इन्हें कहता हूँ, शादी कर लो। लेकिन कहते हैं नहीं करनी। मैं मना नहीं करता। आप शादी कर लो। शादी करोगे फिर भी मोक्ष चला नहीं जाएगा । तब फिर हमारे सिर पर आरोप नहीं आएगा। आपको बीवी नहीं पुसाए तो उसमें मैं क्या करूँ ! तब कहते हैं, हमें नहीं पुसाएगी। ऐसा खुलासा करते हैं न ! इसलिए अगर तुझे पुसाए तो शादी करना और नहीं पुसाए तो मुझे बताना ।
अंदर माल भरा हुआ हो तो शादी करके उसका हिसाब पूरा करो। शादी की, इसका मतलब हमेशा के लिए कहीं पति नहीं बन जाता। सभी रास्ते होते हैं।
मन बिगड़ जाए तो प्रतिक्रमण करने पड़ेंगे। वह भी शूट ऑन साइट होना चाहिए । मन से दोष हुए हों तो वह चला लेंगे । उसका हमारे पास इलाज है, उसका इस्तेमाल करके हम धो देंगे। वाणी से और काया से होगा तो नहीं चला सकते । पवित्रता आवश्यक है ही ! दफाएँ तुझे अच्छी लगीं ?
प्रश्नकर्ता : हाँ, अच्छी लगीं।
दादाश्री : तो लिखकर ले आना। अच्छी नहीं लगें तो नहीं । दफाएँ मंजूर नहीं हों तो अभी बंद रखना। जब एडमिशन लेने लायक हो जाए, तब करना ।