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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
प्रश्नकर्ता : तो सामनेवाले का फ्रैक्चर कैसे कर सकते हैं ?
दादाश्री : हज़ार रास्ते हैं ! नहीं तो एक दिन तो उसे मुँह पर कह देना कि ‘क्या करूँ, मेरा मन दुविधा में हैं ! तेरे जैसी दो-तीन हैं। सभी को वचन दिए हैं' कहना । यह तो यहाँ से चिट्ठी लिखता है कि, 'मुझे अच्छा नहीं लगता तेरे बिना ।' तब छूटेगा कैसे ? फिर और ज़्यादा चिपकेगी वह । अब तुझे आ जाएगा
न?
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अपना बनाया कहकर डियर, तोड़ो देकर फियर
अपना विज्ञान इतना सुंदर है कि हर तरह से आपको एडजस्ट हो जाए। बाहर का एक्सेस हो जाए तो आत्मा खो देता है। बहुत ज़ोरदार हो गया हो तो आत्मा का वेदक चला जाता है । ज्ञातादृष्टापन चला जाए और भ्रांति में डाल दे, वह है मोहनीय कर्म ।
प्रश्नकर्ता : बाहर का एक्सेस हो जाता है, ऐसा आपने कहा न, ऐसा कैसे है वह ?
दादाश्री : किसी को स्त्री के साथ एकता हो गई। अब खुद छोड़ना चाहे लेकिन अगर वह छोड़े तब न ? तू उसे मिला नहीं न, फिर भी वह तुम्हारे ही बारे में सोचती रहेगी। तुम्हारे विचार करती रहे, तो तुम बंधे हुए कहलाओगे। विचारों से ही बंधे हुए। वे विचार बंद होते नहीं और अपना छुटकारा हो नहीं पाता। इसलिए पहले समझ लेना चाहिए। और उसके विचार तोड़ने के लिए क्या करना पड़ेगा ? उसके साथ झगड़े करने पड़ेंगे, ऐसा करना चाहिए, उसे सब उल्टा - उल्टा बताना चाहिए। दूसरी लड़की को यों ही कहना, तुम तो मेरी बहन हो, कहकर चलो ज़रा मेरे साथ घूमने, ऐसा उसे दिखाना, मतलब उसका मन फैक्चर कर देना, धीरे से।
प्रश्नकर्ता : दूसरीवाली चिपक जाए तो ?