________________
छू लिया हो तो वे परमाणु पूरी रात सोने नहीं देते। जब पुण्य ढलने लगें तो ब्रह्मचर्य को डिगा सकते हैं, वहाँ अगर निश्चय स्ट्रोंग रहेगा तो सिर्फ वही बचा सकेगा।
जिसे पूर्व में स्ट्रोंग भावना हुई हो उसका इस जन्म में स्ट्रोंग निश्चय रहता है और जो डगमगाए उसने, पूर्व में भावना की ही नहीं थी। यह तो देखा देखी से हुआ है। उसमें बहुत बरकत नहीं आती। उससे तो शादी कर लेना अच्छा। डगमग निश्चयवाले से ब्रह्मचर्य पालन नहीं हो सकता। व्रत भी नहीं लेना चाहिए। वह फिर टिकता नहीं है। ब्रह्मचर्य में अपवाद नहीं रखा जा सकता। स्टीमर में अपवाद के रूप में छेद रख सकते हैं? पोल मारनेवाले (गड़बड़ करनेवाले, इन्सन्सियर) मन को कैसे रोका जा सकता है ? निश्चय से। हर एक कार्य में निश्चय ही मुख्य है। आत्मा प्राप्त होने के बाद एकाकार होकर अहंकार से निश्चय नहीं करना है लेकिन अलग रहकर मिश्रचेतन से निश्चय करवाना है! कभी कभार ही स्लिप हो गए तो? एक ही बार नदी में डूब जाए तो?!
शास्त्रकारों ने एक बार के अब्रह्मचर्य को मरण कहा है। मरना बेहतर है लेकिन अब्रह्मचर्य मरण तुल्य माना जाता है।
__ जब कर्मों का फोर्स आए, तब आत्मा के गुणों के वाक्य जोर से बोलकर जागृति में आ जाना, वह पराक्रम कहलाता है। स्ववीर्य को स्फुरायमान करना, उसे पराक्रम कहते हैं। पराक्रम से पहुँचनेवाले को वापस मोड़ने की ताक़त किसी में नहीं है।
निश्चय के प्रति सिन्सियर रहे तो पार उतर सकते हैं। हर रोज़ सुबह में तय कर लेना कि 'इस जगत् की कोई भी विनाशी चीज़ मुझे नहीं चाहिए।' फिर उसके प्रति सिन्सियर रहना है। जितना सिन्सियर, उतनी ही जागृति! इसे सूत्र के रूप में पकड़ लेना। सिन्सियारिटी तो ठेठ मोक्ष ले जाती है। सिन्सियारिटी का फल मोरालिटी में आ जाता है। जो संपूर्ण रूप से मोरल हो गया, वह परमात्मा बनेगा। ___'रिज पॉइन्ट' मतलब (झोंपड़ी के) छप्पर का सब से ऊँचा पॉइन्ट! जवानी का 'रिज पॉइन्ट' होता है, वह गुज़र गया तो जीत गया। उतना ही पॉइन्ट संभाल लेना चाहिए।
25