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में, घर में, रास्ते में, बाहर, गाड़ी में, ट्रेन में, इस तरह सब जगह कुसंग ही है । कुसंग है, इसलिए यह जो ज्ञान मैंने आपको दो घंटों में दिया है, उसे यह कुसंग ही खा जाएगा। कुसंग नहीं खा जाएगा? उसके लिए पाँच आज्ञाओं की प्रोटेक्शन बाड़ दी कि यह प्रोटेक्शन करते रहेंगे तो अंदर दशा में ज़रा भी फर्क नहीं पड़ेगा । वह ज्ञान उसे दी गई स्थिति में ही रहेगा । यदि बाड़ टूट जाए तो ज्ञान को खत्म कर देगा, धूल में मिला देगा।
यह ज्ञान जो मैंने दिया है वह भेद ज्ञान है और जुदा भी कर दिया है लेकिन अब वह जुदा ही रहे, उसके लिए ये पाँच वाक्य (आज्ञा) मैं आपको प्रोटेक्शन के लिए देता हूँ ताकि यह जो कलियुग है न, उस कलयुग में लूट न लें सभी । बोधबीज उगे तो पानी वगैरह छिड़कना पड़ेगा न? बाड़ बनानी पड़ेगी या नहीं बनानी पड़ेगी?
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'ज्ञान' के बाद कौन सी साधना ?
प्रश्नकर्ता : इस ज्ञान के बाद में अब किस प्रकार की साधना करनी
चाहिए?
दादाश्री : साधना तो, इन पाँच आज्ञाओं का पालन करते हो न, वही! अब और कोई साधना नहीं है। बाकी सभी साधना बँधनकारक है। ये पाँच आज्ञा छुड़वाएँगी ।
प्रश्नकर्ता : ये जो पाँच आज्ञाएँ है, इनमें ऐसा क्या है ?
दादाश्री : पाँच आज्ञाओं की एक बाड़ हैं, तो यह आपका माल अंदर चुरा न लें वैसी बाड़ आप बनाकर रखो तो अंदर एक्ज़ेक्ट जैसा हमने दिया है वैसा ही रहेगा और बाड़ ढीली हुई तो कोई घुसकर बिगाड़ देगा। तो उसे रिपेयर करने वापस मुझे आना पड़ेगा। जब तक इन पाँच आज्ञाओं में रहोगे, तब तक हम निरंतर समाधि की गारन्टी देते हैं ।
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आज्ञा से तीव्र प्रगति
प्रश्नकर्ता : आपका ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् हमारी, महात्माओं
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