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आप्तवाणी-१३ (पूर्वार्ध)
लेकिन उसका खुद का स्वभाव निरुपद्रवी है, इसलिए ढंक देती है, घाव भर देती है। हुआ कि तुरंत ही। खून वगैरह सबकुछ बंद कर देती है तुरंत ही।
प्रश्नकर्ता : यह तो आज खुलासा हुआ कि ये डॉक्टर भी ऐसा कहते हैं कि जो घाव लगा है, हम उसे नहीं भरते। भरती तो कुदरत ही है लेकिन हम तो मात्र उसे साफ करते हैं।
दादाश्री : वे साफ ही करते हैं, हेल्प करते हैं, कुदरत की हेल्प करते हैं।