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आप्तवाणी-८
शरीर में क्रोध-मान-माया - लोभ सबकुछ ही आ गया । और सूक्ष्म शरीर, वह कैसा होता है? जब तक मोक्ष में नहीं जाता, तब तक साथ में ही रहता है। भले ही कहीं भी जन्म हो, परन्तु यह सूक्ष्म शरीर तो साथ में ही रहता है।
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बाकी, इन्द्रियाँ सभी मर जाती हैं । और कारण शरीर में से फिर से नई उत्पन्न होती हैं। ये इन्द्रियाँ तो एक्ज़ोस्ट होने के लिए उत्पन्न हुई हैं, ये निरंतर एक्ज़ोस्ट ही होती रहती हैं । और एक्ज़ोस्ट हो जाएँ तो खत्म हो जाती हैं। फिर मरते समय उनसे पूछें कि, 'कुछ बोलिए न ! चाचा, कुछ बोलिए ।' लेकिन वे 'ल ल ल... ' करते रहते हैं । जीभ गई। क्योंकि एक्ज़ोस्ट हो गई, खत्म हो गई। आँख का भी ऐसा हो जाता है । इन कानों का भी ऐसा हो जाता है, यानी कि सबकुछ एक्ज़ोस्ट हो जाता है। यानी ये इन्द्रियाँ बिल्कुल भी साथ में नहीं जातीं । उसे नई फ्रेश इन्द्रियाँ मिलेंगी । आँखें भी फर्स्टक्लास, कान भी फर्स्टक्लास मिलेंगे। फिर रेडियो सुनते ही रहो न कान से लगाकर ।
सूक्ष्म शरीर से संबंध कब तक?
देह को छोड़कर आत्मा अकेला नहीं जाता है। आत्मा के साथ में फिर सभी कर्म, कारण कर्म-कारण देह कहते हैं उसे, और तीसरा इलेक्ट्रिकल बॉडी, ये तीनों साथ में निकलते हैं । जब तक यह संसार है, तब तक हर एक जीव में यह इलेक्ट्रिकल बॉडी होती ही है। कारण शरीर बना कि ‘इलेक्ट्रिकल बॉडी' साथ में होती ही है। इलेक्ट्रिकल बॉडी हर एक जीव में सामान्य भाव से होती ही है और उसके आधार पर अपना सब चलता है। भोजन खा लेते हैं, उसे पचाने का काम यह इलेक्ट्रिकल बॉडी करती है । ये खून वगैरह सब बनता है, खून शरीर में ऊपर चढ़ाती है, नीचे उतारती है, अंदर ये सारे काम करती है। आँखों से जो दिखता है, वह सारी लाइट इलेक्ट्रिकल बॉडी के कारण ही है । और ये क्रोधमान-माया-लोभ, ये भी इस इलेक्ट्रिकल बॉडी के कारण होते हैं । आत्मा में क्रोध-मान-माया-लोभ हैं ही नहीं । यह गुस्सा भी, ये सब इलेक्ट्रिकल बॉडी के शॉक हैं।
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