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आप्तवाणी-८
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विनाशी और अविनाशी का भेद क्या है? मनुष्य जब मरता है, तब विनाशी चीजें अलग हो जाती हैं और अविनाशी चीजें अलग हो जाती है। इसमें जो अविनाशी वस्तु है, वह 'रियल' यानी कि सनातन वस्तु है। और 'रिलेटिव' सारा विनाशी है।
प्रश्नकर्ता : आपने कहा है न, कि 'रिलेटिव' सारा विनाशी है, नाशवंत है। अब वैज्ञानिक और भारतीय दर्शन भी ऐसा कहता है, कि इस दुनिया में कोई भी तत्व विनाशी नहीं है। तो आप इस नाशवंत के लिए क्या कहना चाहते हैं?
दादाश्री : मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि इस दुनिया में कोई भी तत्व विनाशी नहीं है। और वह तत्व, तत्व की दृष्टि से है। उस तत्व को आपने देखा ही नहीं। ये आपके अनुभव में सब अविनाशी चीजें आती हैं या विनाशी चीजें आती हैं?
प्रश्नकर्ता : अविनाशी भी नहीं आता और विनाशी भी नहीं आता।
दादाश्री : लेकिन ये कप-प्लेट टूट जाएँ तो इन कप-प्लेट को आप विनाशी कहते हो या अविनाशी?
प्रश्नकर्ता : मैं इन्हें कुछ भी नहीं कहता। वह एक जैसी ही चीज़
दादाश्री : एक जैसी ही? लेकिन यह इन दूसरे सभी लोगों को एक सरीखा नहीं लगता। इन सभी लोगों के लिए तो, कप-प्लेट टूट जाएँ तो वे लोग कप-प्लेट को विनाशी ही कहते हैं।
प्रश्नकर्ता : लेकिन विनाशी के बारे में आपका अभिप्राय क्या है?
दादाश्री : विनाशी अर्थात् जब ये कप-प्लेट जब टूट जाते हैं, तब हमें अंदर दुःख होता है, ये कपड़े जल जाएँ तो हमें अंदर दुःख होता है। अतः ये सभी विनाशी चीजें हैं। यह शरीर अविनाशी है या विनाशी है?
प्रश्नकर्ता : शरीर भी विनाशी नहीं है।