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आप्तवाणी- -८
दादाश्री : अरे, मोक्ष में तो बहुत सारे पहुँच सकते हैं न? मैं अभी भी मोक्ष में ही हूँ न!
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प्रश्नकर्ता : ऐसा नहीं हो सकता कि सभी आत्मा मोक्ष में चले जाएँ? 'पोसिबल' है क्या ?
दादाश्री : माँ और बेटा दोनों एक-सी उम्र के हो पाएँगे क्या कभी? जिस दिन बेटा और माँ एक-सी उम्र के हो जाएँगे, उस दिन पूरा जगत् मोक्ष में चला जाएगा ।
ऐसा है 'पूरा जगत् मोक्ष में जाए' ऐसी भावना करने के अधिकारी हैं। लेकिन वह रूपक में कभी भी आएगा नहीं । वह रूपक में कब आएगा कि जब माँ और बेटा एक ही उम्र के होंगे तब ।
एक व्यक्ति ने मुझे कहा, 'पूरे जगत् को मोक्ष में ले जाइए न !' मैंने कहा, “आपको समझाता हूँ । इस पूरे जगत् के जीव 'वॉरीयर्स' (योद्धा) बन जाएँ तो किस पर 'अटैक' करेंगे? पूरे जगत् के सभी जीव डॉक्टर ही बन जाएँ तो किसका इलाज करेंगे? पूरे जगत् के सभी जीव नाई बन जाएँ तो किसके बाल काटेंगे? और सभी सुथार बन जाएँ तो किसका काम करेंगे?" तब उसने कहा, 'समझ गया, समझ गया, अब फिर से ऐसा नहीं बोलूँगा।'
कुदरत का प्रबंधन है, इसलिए हम ऐसा नहीं कहते कि बहुत सारे लोग इकट्ठे हो जाओ। यह तो उसका प्रबंधन ही है कि 'व्यवस्थित' रूप से सब आते हैं। नहीं तो हम चिट्ठियाँ नहीं लिखवाते? लेकिन नहीं, ये सब हिसाब अपनी जगह पर सेट ही हैं । इसलिए हमें यह उपाधि नहीं करनी है। यह तो हम यहाँ पर आते हैं और जाते हैं।
आपको समझ में आया यह ? यह संसार खुद ही प्रवाह के रूप में है और अनादि से यह प्रवाह बह ही रहा है। इसमें सभी जीवों का मोक्ष तो होगा ही, जल्दी या देर से, वह उसका क्रम ही है । क्रम अर्थात् एक समय में एक सौ आठ जीव मोक्ष में जाते ही रहते हैं, प्रवाह के रूप में !