________________
११०
आप्तवाणी-८
हो। जिसमें कुछ भी 'चेन्ज' नहीं होता हो, एक ही स्वभाव का हो, जिसका स्वभाव नहीं बदलता। आत्मा अविनाशी है। यह आकाश तत्व अविनाशी है। पुद्गल, ये परमाणु जो तत्व हैं, जो अणु का छोटे से छोटा भाग, अविभाज्य भाग परमाणु है, वह अविनाशी तत्व है। गति सहायक तत्व गति करवाता है उन सभी को, वह अविनाशी है। और जो स्थिति करवाता है, वह स्थिति सहायक तत्व, वह अविनाशी है। और काल भी अविनाशी तत्व है। यानी कि निर्विकल्पी सत्य तो ये छह वस्तुएँ हैं इस दुनिया में। छह ही वस्तुएँ निर्विकल्पी सत्य हैं, जिनमें कोई 'चेन्ज' नहीं होता, जो स्वाभाविक हैं।
साधन भी समाए विकल्प में प्रश्नकर्ता : यह जो वेद 'टेक्नोलोजी' है, वह 'अप्रोच' बताती है, इतना तो सत्य है?
दादाश्री : वे हमारे लिए 'हेल्पिंग' हैं, उल्टे गए हैं इसलिए जगह पर आने के लिए वे 'हेल्पिंग' है। यदि उल्टे नहीं गए होते तो 'हेल्पिंग' नहीं था।
ये जो वेद हैं न, इन्हें लोग भले ही जो कुछ भी नाम देते हों, लेकिन मूल ऋषभदेव भगवान के मुख से ही हैं ये।
प्रश्नकर्ता : यह बात ठीक है। अब यह जो ॐकार है, उसके अंदर क्या सत्य छुपा हुआ है?
दादाश्री : ॐकार में बहुत सत्य छुपा हुआ है, लेकिन वह भी कौनसा सत्य है? विकल्पी सत्य है। इसके बावजूद यह विकल्पी सत्य निर्विकल्प की तरफ़ ले जाए, ऐसा है। यह रास्ता है, यह रोड-वे है।
प्रश्नकर्ता : अब साध्य पूर्ण है, ब्रह्म पूर्ण है। साधन विकल्पी हैं, वे भी देशकाल का अनुसरण करके पूर्णभाव धारण करते हैं या नहीं? ____दादाश्री : दूसरे संयोग इकट्ठे हो जाएँ तो हो सकता है। लेकिन आखिर में एक संयोग निर्विकल्पी गुरु का होना चाहिए, लेकिन वे