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आप्तवाणियों के लिए परम पूज्य दादाश्री की भावना
'ये आप्तवाणियाँ एक से आठ छप गई हैं। दूसरी चौदह | तक तैयार होनेवाली हैं, चौदह भाग। ये आप्तवाणियाँ हिन्दी में छप जाएँ तो सारे हिन्दुस्तान में फैल जाएँगी।'
- दादाश्री परम पूज्य दादा भगवान (दादाश्री) के श्रीमुख से वर्षों पहले निकली यह भावना अब फलित हो रही है।
आप्तवाणी-७ का हिन्दी अनुवाद आपके हाथों में है। भविष्य में और भी आप्तवाणियों तथा ग्रंथों का हिन्दी अनुवाद उपलब्ध होगा, इसी भावना के साथ जय सच्चिदानंद।
पाठकों से... * 'आप्तवाणी' में मुद्रित पाठ्यसामग्री मूलत: गुजराती 'आप्तवाणी'
श्रेणी-७ का हिन्दी अनुवाद है। * 'आप्तवाणी' में 'आत्मा' शब्द का उपयोग संस्कृत और गुजराती __भाषा की तरह पुल्लिंग में किया गया है।
* जहाँ-जहाँ 'चंदूभाई' नाम का प्रयोग किया गया है, वहाँ-वहाँ ___पाठक स्वयं का नाम समझकर पठन करें। * 'आप्तवाणी' में अगर कोई बात आप समझ न पाएँ तो प्रत्यक्ष
सत्संग में पधारकर समाधान प्राप्त करें।