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लक्ष्मी की चिंतना (२)
हैं कि, 'आपको मेरे यहाँ से जाना नहीं है' ऐसा कहते हैं।" तब लक्ष्मी जी क्या उनके पीहर नहीं जाएँ? लक्ष्मी जी को क्या घर में रोककर रखना चाहिए? ।
लक्ष्मी बढ़ी, तो कषाय घटे? इस कलियुग में पैसों का लोभ करके खुद का जन्म बिगाड़ता है, और फिर मनुष्यपन में आर्तध्यान, रौद्रध्यान होते रहते हैं, तो मनुष्यपन चला जाता है। बड़े-बड़े राज्य भोग-भोगकर आए हैं। ये कहीं बिल्कुल भिखारी नहीं थे, लेकिन अभी मन भिखारी जैसा हो गया है। तो यह चाहिए और वह चाहिए होता रहता है। नहीं तो जिसका मन तृप्त हो, उसे कुछ भी नहीं दें, फिर भी वह राजसी (बड़ा दिलवाला) होता है। पैसा ऐसी चीज़ है कि मनुष्य को लोभ की तरफ दृष्टि करवाता है। लक्ष्मी तो बैर को बढ़ानेवाली चीज़ है। उससे जितना दूर रहा जा सके उतना उत्तम और यदि खर्च हो, तो अच्छे काम में खर्च हो जाए तो अच्छी बात है।
प्रश्नकर्ता : अभी तो पैसा सस्ता हो गया है।
दादाश्री : पैसा सस्ता हुआ है। पैसा सस्ता तो मनुष्य सस्ता हो जाता है। पैसा महँगा हो जाए, तब मनुष्य महँगा हो जाता है। मनुष्य की क़ीमत कब तक? पैसा महँगा हो तब तक रहती है। पैसा सस्ता हो जाए, तब मनुष्य की क़ीमत सस्ती हो गई! पैसा सस्ता हो जाए यानी मनुष्य की क़ीमत सस्ती हो गई! फिर बाल कटवाना भी महँगा हो जाता है, सबकुछ महँगा हो जाता है।
__ लक्ष्मी के ध्यान से, जोखिम अपार
लक्ष्मी तो हाथ का मैल है और मैल नैचरली आएगा ही। आपको इस साल पाँच हजार सात सौ और पाँच रुपये और तीन आने, इतना हिसाब आनेवाला होगा न, तो हिसाब से बाहर कभी जाएगा ही नहीं। और फिर भी ये जो अधिक आते हुए दिखाई देते हैं, वे तो जैसे बुलबुले फूटते हैं वैसे फूट जाएँगे। लेकिन