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व्यापार की अड़चनें (१९)
गलत समझता है। छोटे बच्चे को हीरा दें तो हीरा लेकर बाहर खेलने चला जाएगा और उसके बदले कोई बिस्किट दे तो ले लेगा, क्योंकि उसे समझ नहीं है न! आपको यह सही-गलत की समझ कहाँ से आई?
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प्रश्नकर्ता : दुनियादारी के तौर जो कहते हैं न, या फिर हमें ऐसा लगे कि यह गलत है। जैसे किसी को गलत बोलकर माल बेचा तो वह सब गलत कहलाएगा न?
दादाश्री : उससे तो हमें दुःख होगा उस घड़ी हमें अंदर खराब लगेगा, खुद को समझ में आता है कि यह गलत हो रहा है और सुख होगा तो खुद को समझ में आएगा कि यह अच्छा ही हो रहा है। आप दान देते हो तो आपको अंदर सुख होता है। अपने खुद के रुपये देते हो फिर भी सुख महसूस होता है, क्योंकि अच्छा काम किया। अच्छा काम करने से सुख होता है और जब खराब काम करें, उस घड़ी दुःख होता है। उस पर से हम पहचान सकते हैं कि क्या सही और क्या गलत !
'गलत' बंद करके तो देखो
प्रश्नकर्ता : अब गलत बंद नहीं हो पाता, उसके लिए हमें क्या करना चाहिए?
दादाश्री : वह गलत को बंद करना आना चाहिए न ! तो वह गलत करना सीखे कहाँ से? किसीने सिखाया नहीं?
प्रश्नकर्ता : दुनियादारी सिखाती है कि, 'सही बोलो, गलत करो,' पैसा कमाने के लिए सिखाते हैं न !
दादाश्री : हाँ, लेकिन वह हमें सीखना हो तो सीखेंगे, नहीं सीखना हो तो नहीं सीखेंगे।
प्रश्नकर्ता : अगर बिज़नेस में गलत कर रहे हैं, तो उससे दूर रहने का क्या रास्ता है?