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[१५] दुःख मिटाने के साधन
अपने ही हिसाब... इस जगत् में कुछ भी गलत है ही नहीं। कोई व्यक्ति आपको जो कुछ भी देता है, वह आपका ही दिया हुआ वापस देता है। आपके दिए बगैर तो कोई मनुष्य आपके यहाँ जमा करवाने आएगा ही नहीं। जितना आपने दिया होगा उतना ही वापस आता है, लेकिन कब दिया था उसकी आपको खबर नहीं है। आप आज के बहीखाते देखते हो कि इसमें तो कहीं दिया हुआ नहीं लगता, इसलिए आपको ऐसा लगता है कि यह कुछ नया देने आया है। वास्तव में तो नया कभी भी कोई देने आता ही नहीं। यह सारा पिछला कर्ज ही है, वह आपको तुरंत जमा कर लेना है। अब यदि आप फिर से वापस दोगे तो व्यापार चलता रहेगा।
पिछले जन्म में किसी को दो गालियाँ दी होंगी तो इस जन्म में कोई आपको दो गालियाँ देगा। उस घड़ी आपको फिर वापस कड़वा लगता है इसलिए आप वापस पाँच गालियाँ दे देते हो। दो गालियाँ वापस आईं, तो कड़वा लग रहा है, तो फिर जब पाँच गालियाँ वापस आएँगी तब क्या दशा होगी? इसलिए आप नया उधार देना बंद कर दो। जिस व्यापार में नुकसान हुआ और दुःख महसूस होता है, उस व्यापार में पैसे लगाने बंद कर दो। हमें कोई दो सुना जाए, तब हमें भीतर अंदर से शांतिपूर्वक उसे जमा कर लेना चाहिए, क्योंकि जो दिया हुआ है वही वापस आया है। इसलिए अभी जमा कर लो और फिर वापस नहीं देना है।