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आप्तवाणी-६
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बहुत समझने जैसा जगत् है। लोग समझते हैं वैसा यह नहीं है। शास्त्रों में लिखा है, वैसा यह जगत् नहीं है। शास्त्रों में तो पारिभाषिक भाषा में है, वह सामान्य व्यक्तियों को समझ में आ सके, ऐसा नहीं है।
___ आपने दख़लंदाजी करना बंद हो जाए तो आपमें दख़लंदाजी करनेवाला दुनिया में कोई नहीं होगा। आपकी दखलंदाजी के ही परिणाम हैं ये सब ! जिस घड़ी आपकी दखलंदाजी बंद हो जाएगी, तब आपका कोई परिणाम आपके पास नहीं आएगा। आप पूरी दुनिया के, पूरे ब्रह्मांड के स्वामी हो। कोई ऊपरी (बॉस, वरिष्ठ मालिक) ही नहीं है आपका। आप परमात्मा ही हो, कोई आपको पूछनेवाला नहीं है।
ये सब अपने खुद के ही परिणाम हैं। आप आज से किसी को स्पंदन फेंकने का, किंचत्मात्र किसी के लिए विचार करना बंद कर दो। विचार आए तो प्रतिक्रमण करके धो डालना, ताकि पूरा दिन किसी के भी प्रति स्पंदन बिना का बीते! इस प्रकार से दिन बीते तो बहुत हो गया, वही पुरुषार्थ है।