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आप्तवाणी-६
बढ़ाया तूने! उस दुःख को तो तू अनुभवपूर्वक देखेगा तो उसका जोखिम कम हो जाएगा। दुःख धक्के मारने से चला नहीं जाएगा। उसे तो बल्कि बढ़ाया, वह जमापूंजी में तो रहा ही। जिसने एक दुःख पार किया वह फिर अनंत दु:ख पार कर सकेगा। फिर वह दुःख पार करनेवाला लुटेरा बन गया! मैंने तो कितने ही दुःख पार कर लिए हैं, इसलिए मैं लुटेरा (विशेषज्ञ) ही बन चुका हूँ न!