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आप्तवाणी-६
टेढ़ा चलता है। और 'बेटा, तू बहुत समझदार है', कहें कि तुरंत वह मान
जाता है
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प्रश्नकर्ता : और उसे बहुत समझदार कहें तो भी वह बिगड़
जाएगा?
दादाश्री : मूर्ख कहें तो भी बिगड़ जाएगा और बहुत समझदार कहें तो भी बिगड़ जाएगा। क्योंकि समझदार कहोगे तो उसके अहंकार को एन्करेजमेन्ट मिल जाएगा और मूर्ख कहोगे तो साइकोलोजिकल इफेक्ट उल्टा पड़ेगा। अक़्लमंद इन्सान को २५-५० बार मूर्ख कहोगे तो उसके मन में वहम हो जाएगा कि, 'वास्तव में क्या मैं पागल हूँ?' ऐसा करते-करते वह पागल हो जाएगा । इसलिए मैं पागल को भी 'तेरे जैसा समझदार इस जगत् में कोई नहीं' ऐसा कर - करके एन्करेजमेन्ट देता हूँ। इस जगत् में हमेशा पॉज़िटिव रहो । नेगेटिव की तरफ मत चलना । पॉज़िटिव का उपाय मिलेगा। मैं आपको समझदार कहूँ और यदि आवश्यकता से अधिक आपका अहंकार खिसका, तो मुझे आपको चपत मारना भी आता है, नहीं तो वह उल्टे रास्ते चले और उसे एन्करेज नहीं करें तो वह आगे बढ़ेगा ही नहीं ।
'अहंकार नुकसानदायक है' ऐसा जान लो, तब से सारा काम सरल हो जाएगा। अहंकार का रक्षण करने जैसा नहीं है । अहंकार खुद ही रक्षण कर ले, ऐसा है ।
व्यवहार का अर्थ क्या? देकर लो, या फिर लेकर दो, वह व्यवहार है। ‘मैं' किसी को देता भी नहीं और 'मैं' किसी का लेता भी नहीं । मुझे कोई देता भी नहीं। ‘मैं' मेरे स्वरूप में ही रहता हूँ ।
व्यवहार इस प्रकार बदलो कि हमें देकर लेना है। यानी वापस देने आए उस घड़ी यदि पुसाता हो तब देना ।
हम लोग बावड़ी में जाकर कहें कि, 'तू बदमाश है', तो बावड़ी भी कहेगी, 'तू बदमाश है' और हम कहें कि, 'तू चौदह लोक का नाथ है', तो वह भी हमें कहेगी कि, 'तू चौदह लोक का नाथ है।' इसलिए