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________________ आप्तवाणी-३ २१२ जाते हैं बेचारे। स्त्रियाँ तो बोल भी जाती हैं फिर कि उस दिन आप ऐसा बोले थे, वह मेरे कलेजे में घाव लगा हुआ है। अरे बीस वर्ष हुए फिर भी नोंध ताज़ी? बेटा बीस वर्ष का हो गया, शादी के लायक हो गया, फिर भी अभी तक वह बात रखी हुई है ? सभी चीजें सड़ जाएँ, लेकिन इनकी चीज़ नहीं सड़ी । स्त्री को आपने कुछ दिया हो तो वह असल जगह पर रख छोड़ती है, कलेजे के अंदर, इसीलिए देना - करना नहीं । नहीं देने जैसी चीज़ है यह । सावधान रहने जैसा है । इसलिए शास्त्रों में भी लिखा है कि, 'रमा रमाड़वी सहेली छे, विफरी महामुश्केल छे' (रमा को खेल खिलाना आसान है, बिफरे तब महामुश्किल है । ') बिफरे तो वह क्या कल्पना नहीं करेगी, वह कहा नहीं जा सकता। इसलिए स्त्री को बार-बार नीचा नहीं दिखाना चाहिए। सब्ज़ी ठंडी क्यों हो गई? दाल में बघार ठीक से नहीं किया, ऐसी किच-किच किसलिए करता है ? बारह महीने में एकाध दिन एकाध शब्द हो तो ठीक है, यह तो रोज़ ! ‘भाभो भारमां तो वहु लाजमां' (ससुर गरिमा में तो बहू शर्म में ), आपको गरिमा में रहना चाहिए । दाल अच्छी नहीं बनी हो, सब्ज़ी ठंडी हो गई हो, तो वह नियम के अधीन होता है । और बहुत हो जाए तब धीमे रहकर बात करनी हो तो करना किसी समय, कि यह सब्ज़ी रोज़ गरम होती है, तब बहुत अच्छी लगती है । ऐसी बात करो तो वह उस टकोर को समझ जाएगी। डीलिंग नहीं आए, तो दोष किसका ? अट्ठारह सौ रुपये की घोड़ी ले, फिर भाई ऊपर बैठ जाए। भाई को बैठना नहीं आए और उसे छेड़ने जाए, तब घोड़ी ने कभी भी वैसी छेड़खानी देखी नहीं हो इसलिए खड़ी हो जाती है । तब मूर्ख गिर जाता है। ऊपर से वह लोगों से कहता क्या है कि 'घोड़ी ने मुझे गिरा दिया।' और वह घोड़ी खुद का न्याय किसे कहने जाए ? घोड़ी पर बैठना तुझे नहीं आता, उसमें तेरी भूल है या घोड़ी की? और घोड़ी भी बैठने के साथ ही समझ जाती है कि यह तो जंगली जानवर बैठा, इसे बैठना नहीं आता ! वैसे ही ये हिन्दुस्तानी स्त्रियाँ, यानी आर्य नारियाँ, उनके साथ काम लेना नहीं आए तो फिर वे गिरा ही देंगी न? एक बार पति यदि स्त्री के आमने
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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