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आप्तवाणी-२
हो गया! लोग जगत् को गप्प मानते हैं कि, 'इसे भोग लो जैसे मरज़ी में आए वैसे, कौन बाप पूछनेवाला है?' अरे, ऐसा नहीं है यह। यू आर होल एन्ड सोल रिस्पोन्सिबल फॉर योरसेल्फ (आप अपने खुद के लिए खुद ही पूरी तरह से ज़िम्मेदार हो)। पिछले जन्मों और अगले जन्मों के लिए तू खुद ही जोखिमदार है। एक इतनी सी भूल भी तू मत करना। भगवान इसमें हाथ डालते ही नहीं।
इस जगत् को समझना तो पड़ेगा न? यों ही गप्प से कब तक चलेगा? इस पज़ल को सॉल्व करना पडेगा या नहीं? कब तक इस पहेली में उलझते रहना है?
विश्व पज़ल का एकमेव सोल्युशन द वर्ल्ड इज़ द पज़ल इटसेल्फ। देयर आर टू व्यू पोइन्ट्स टु सोल्व दिस पज़ल। वन रिलेटिव व्यू पोइन्ट एन्ड वन रियल व्यू पोइन्ट। बाई रिलेटिव व्यू पोइन्ट यू आर चंदूलाल एन्ड बाई रियल व्यू पोइन्ट आप 'शुद्धात्मा' हो। इन दो व्यू पोइन्टस से जगत् को देखोगे तो सारे ही पज़ल सोल्व हो जाएँगे। ये ही दिव्यचक्षु हैं। लेकिन जब तक 'ज्ञानीपुरुष' आपके अनंतकाल के पापों को भस्मीभूत नहीं कर दें, आपको स्वरूप का भान नहीं करवा दें, तब तक कुछ भी नहीं हो सकता। प्रत्यक्ष प्रकट पुरुष के बिना काम नहीं हो सकता।
बह्मा, विष्णु और महेश दादाश्री : यह जगत् किसने बनाया होगा?
प्रश्नकर्ता : ब्रह्मा, विष्णु और महेश - इन तीनों ने मिलकर। क्रियेटर ब्रह्मा हैं, एडमिनिस्ट्रेटर विष्णु हैं और डेस्ट्रोयर महेश हैं।
दादाश्री : तो उन ब्रह्मा, विष्णु और महेश के माँ-बाप कौन हैं? प्रश्नकर्ता : शंकर खुद ही फादर हैं। दादाश्री : तो फिर मदर कौन है? प्रश्नकर्ता : ही हिमसेल्फ इज़ द मदर।