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सुदर्शन चक्र
३८३ अक्रम-मुक्ति के बाद भक्ति४३२ वेद, तीन गुणों में ही हैं ३८३ भगवान का पता ४३३
सच्चा सन्यास और निष्काम ३८४ कीर्तन भक्ति • स्थितप्रज्ञ या स्थितअज्ञ? ३८७ भक्ति और ज्ञान । प्रज्ञाशक्ति
३८८. निष्पक्षपाती मोक्षमार्ग ४३९ वेदांत
३९३ इस काल में मोक्ष है? ४४० अज्ञान से ही मोक्ष रुका है ३९४ नॉर्मेलिटी से मोक्ष ४४१ शक्तिपात ३९५ जहाँ मेहनत, वहाँ मोक्ष..
४४३ आत्मभान, वह बिन्दु... ३९६ मोक्ष यानी क्या? ४४४ वेदशास्त्र तो साधन स्वरूप ३९८ नियाणां और शल्य ४४६ ब्रह्मनिष्ठ तो ज्ञानी ही बनाते..३९८ मोक्ष के बाद आत्मा की.. ४४७ द्वैताद्वैत
४०२ ज्ञानी, मोक्षमार्ग के नेता । ४४९ अनेकांत से मोक्ष ४०४ ज्ञान क्रियाभ्याम् मोक्ष ४५० वीतराग मार्ग
४०७ बंधन किससे? ज्ञानी के पीछे-पीछे ४०८ वीतराग मार्ग विरोध विहीन ४५३ इच्छा किसे होती है ४१० जहाँ निष्केफ, वहाँ मोक्ष ४५५ सचोट इच्छा, कैसी होती है?४११ निर्ममत्व वहाँ मोक्ष ४५६ अमूर्त के दर्शन, कल्याणकारी ४१२ सच्ची दीक्षा
४५८ वीतराग अर्थात् असल में... ४१३ वीतरागों की सूक्ष्म बात ४६० अन्य मार्गों में, कैसी दशा ४१४ सच्चा मार्ग मिले तो हल.. ४६१ संकल्प-विकल्प किसे... ४१५ धर्म में व्यापार नहीं होना.. ४६२ भूलें मिटानी वही वीतराग ४१६ गुरुकिल्ली के बिना गुरु... ४६२ तरणतारण ही तारें ४१८ स्वच्छंद से रुका मोक्ष ४६३ वीतराग धर्म
४१९ सच्चा गुरु - सच्चा शिष्य ४६४ जगत् में क्रांति काल बरते ४२० तपने के बाद धर्मोन्नति ४६५ • भक्त-भक्ति-भगवान ४२३ असंसारी कौन? ४६६
व्यवहार में - भक्त और.. ४२५ हड़बड़ी और प्रमाद ४६७ भक्ति और मुक्ति ४२८. स्व-रमणता : पर-रमणता ४७३ आराधना - विराधना ४३० सारी-खिलौनों की ही... ४७४ नियम में पोल नहीं मारनी.. ४३१ रमणता : अवस्था की... ४७७
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