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________________ निज दोष उनके साथ बैठे हो, इसलिए आपकी भी सभी गुत्थियाँ सुलझ जाएँगी, ऐसा है । यदि गुत्थियोंवाले इंसान के पास बैठोगे तो आपकी गुत्थियाँ और उलझ जाएँगी, ऐसा नैचुरल नियम है । जो गुत्थियाँ आती हैं, वे जिस टाइम पर डाली हैं, उसी टाइम पर गुत्थियाँ सुलझेंगी। गुत्थियाँ सुलझाने की सत्ता हमारे हाथ में नहीं है। इसलिए भगवान ने क्या कहा है कि, 'ऐसे समय में तू धर्मध्यान, देवदर्शन, कुछ कर । ये बाल बढ़ जाते हैं, उन्हें कटवाने के लिए दौड़-धूप करनी पड़ती है क्या ? नहीं। क्योंकि संयोग आ मिलते हैं और बाल कट जाते हैं। वैसे ही जब समय आएगा, तब ये गुत्थियाँ सुलझती जाएँगी।' १५९ द वर्ल्ड इज़ द पज़ल इटसेल्फ । 'पज़ल है, ' गुत्थी जैसा हो गया है। यदि उसे सुलझा दो तो काम हो जाए! 'लख रे चौरासी नी भूल-भुलामणीना फेरा मारा कोण टाळे ? ' इस लख चौरासी में से कैसे निकला जाए? कौन निकाले इसमें से? कृपालुदेव कहते हैं कि जो जीव चौरासी लाख के फेरों में से निकले उसे तो मैं सबसे महान मानूँगा । यह तो आपको बाहर निकलने का रास्ता मिला है। ‘ज्ञानीपुरुष' मिले हैं, इसलिए उनके माध्यम से बाहर निकला जा सकेगा। ‘ज्ञानीपुरुष' आपकी भूल के लिए क्या कर सकते हैं? वे तो मात्र आपको आपकी भूल बताते हैं । प्रकाश दिखाते हैं। रास्ता बताते हैं कि भूल का पक्ष मत लेना । लेकिन फिर यदि भूलों का पक्ष लें कि, 'हमें तो इस दुनिया में रहना है, तो ऐसा कैसे कर सकते हैं?' अरे ! यह तो भूल को पोषण दिया । उसका पक्ष मत लेना। एक तो भूल करता है और ऊपर से कल्पांत करे तो कल्प के अंत तक रहना पड़ेगा। खुद की संपूर्ण स्वतंत्रता- आज़ादी यदि चाहिए तो जब खुद की सारी ही भूलें मिट जाएँगी, तब मिलेगी। भूल कब पता चलती है कि खुद कौन है इसका भान हो जाए, परमात्मा का साक्षात्कार हो जाए, तब ।
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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