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निज दोष
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यह आत्मा खुद नहीं दबता, लेकिन संयोगों के प्रेशर (दबाव) से एक के अनंत रूप दिखते हैं। यह पूरा जगत् भगवत् स्वरूप है। इस पेड़ को काटने का मात्र भाव ही करें तो भी कर्म चिपकें ऐसा है। सामनेवाले के बारे में ज़रा सा भी खराब सोचा तो पाप लगता है और अच्छा भाव करे, तो पुण्य मिलता है। मन में भाव बिगड़ें, वह भी खुद की भूल। यहाँ सत्संग में आएँ
और यहाँ लोग खड़े हों, तो अगर लगे कि ये सब क्यों खड़े हैं? उससे मन में भाव बिगड़ा। उस भूल के लिए, उसका तुरंत ही प्रतिक्रमण करना पड़ेगा।
पहले 'क्रमिक' मार्ग में आप तप-त्याग करते थे, फिर भी खुद की भूलें नहीं दिखती थीं। अब यह 'अक्रम' मार्ग प्राप्त किया है तो काम निकाल लो। यह तो साहब के पास जाता है और कहता है, 'साहब मुझे छुड़वाइए, साहब मुझे छुड़वाइए।' लेकिन साहब खुद ही बंधा हुआ है वह कैसे तुझे छुड़वाएगा? आजकल तो ये जो ट्रिकें करते हैं, कपट करते हैं, कपट से बंधा हुआ, वह कब छूटेगा? कोई बाप भी बाँधनेवाला नहीं है। होता तो भक्ति से गिड़गिड़ाए, माफ़ी माँगे, तो भी साहब छोड़ देंगे, लेकिन नहीं, ऐसा नहीं है, वह तो 'खुद' की भूल से ही 'खुद' बंधा हुआ है। 'ज्ञानीपुरुष' अँगुलीनिर्देश करते हैं कि ऐसा करो तो भूल मिटेगी, या फिर 'ज्ञानीपुरुष' की आज्ञा का पालन करे तो काम हो जाए!
भगवान ने क्या कहा था कि, 'खुद किससे बंधा हुआ है? मात्र चले आ रहे बैर से बंधा हुआ है।' उसी से जगत् चला आ रहा है। कन्टिन्युअस (लगातार) बैर से ही गुत्थियाँ डाली हैं। यह तो वापस बैर का पक्ष लेता है, वही फिर अगले जन्म में आता है और गुत्थियाँ सुलझाने के बजाय उस समय दूसरी पाँच नई डालता जाता है!
लोग मानते हैं कि भगवान ऊपरी हैं, इसलिए उनकी भक्ति करेंगे तो छूट जाएँगे। लेकिन नहीं, कोई बाप भी ऊपरी नहीं है। तू ही तेरा ऊपरी, तेरा रक्षक भी तू ही है और तेरा भक्षक भी तू ही है। यू आर होल एन्ड सोल रिस्पोन्सिबल फोर योरसेल्फ। खुद ही खुद का ऊपरी है। इसमें और कोई बाप भी दख़ल नहीं करता है। हमारा बॉस है वह भी अपनी भूल