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चाहे कुछ भी करके, अंत मे 'लॉलीपॉप' देकर भी उसे पटाकर अपना काम निकाल लेना है!
कुछ लोग आत्मा को निर्गुण कहते हैं, लेकिन वह यथार्थ नहीं है। प्रकृति के गुणों की तुलना में आत्मा निर्गुण है और खुद के स्वगुणों से आत्मा भरपूर है। आत्मा के अनंत गुण हैं।
दादाश्री का सूत्र है कि, "प्रकृति का एक भी गुण 'शुद्ध चेतन' में नहीं है और 'शुद्ध चेतन' का एक भी गुण प्रकृति में नहीं है।" । - 'प्रकृति सहज हो जाए तो आत्मा सहज हो जाता है और आत्मा सहज हो जाए तो प्रकृति सहज हो जाती है।' - दादाश्री
अंबामाता, दुर्गामाता, ये सभी माता जी आद्य शक्तियाँ हैं और वे सहज-प्राकृत शक्तिसूचक हैं। हर एक देवी के नियम होते हैं और उन नियमों का पालन करने पर वे देवी खुश रहती हैं। अंबा माँ प्रकृति की सहजता सूचित करती हैं। यदि सहजता रहे तो अंबा माँ राज़ी रहती हैं। सरस्वती देवी को राजी करने के लिए कौन से नियमों का पालन करना चाहिए? वाणी का कभी भी दुरुपयोग न करे, झूठ नहीं बोले, प्रपंच नहीं करे, वाणी का किसी भी प्रकार का अपव्यय नहीं करे तो सरस्वती देवी प्रसन्न होती हैं। परिणाम स्वरूप ग़ज़ब का वचनबल उत्पन्न होता है! 'ज्ञानीपुरुष' की वाणी साक्षात् सरस्वती मानी जाती है, क्योंकि वह प्रकट परमात्मा को स्पर्श करके निकलती है!
लक्ष्मी जी के नियम क्या हैं? 'मन-वचन-काया से कभी भी चोरी नहीं करूँ,' लक्ष्मी जी का वही एक बड़ा नियम है। लक्ष्मी जी के पीछे नहीं पड़ना चाहिए या उन्हें रोककर नहीं रखना चाहिए, लेकिन लक्ष्मी जी का तिरस्कार भी नहीं करना चाहिए। 'ज्ञानीपुरुष' तो, लक्ष्मी जी सामने मिलें तब फूलमाला पहनाते हैं और जाएँ तब भी फूलमाला पहनाते हैं ! जो लक्ष्मी जी की इच्छा करे, उसके वहाँ लक्ष्मी जी देर से पहुँचती हैं और इच्छा नहीं करे, उसके वहाँ समय से आ पहुँचती हैं।
लक्ष्मी किस तरह कमाई जाती हैं? मेहनत से? बुद्धि से? ना। वह
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