________________ गुजराती विभाग [97-15] श्रीहेमहंसगणि रचित श्रीनमस्कार बालावबोध / श्रेयांसि श्रीमहावीरः, स श्रीसंघस्य यच्छतात् / यस्याज्ञा कल्पवल्लीव, मनोवाञ्छितदायिनी // 1 // श्रीवर्द्धमान[जिन]शासनराज्यनेता, विश्वत्रयाद्भुतचरित्रयुगप्रधानः / श्रीसोमसुन्दरगुरुर्गुरुचक्रवर्ती, __भूयादमेयमहिमा मम सुप्रसन्नः // 2 // तत्पट्टनायकाः श्रीमुनिसुन्दरसूरयो जयन्त्यधुना / जयचन्द्रसूरि-जिनकीर्तिमरिपरिवारपरिकरिताः // 3 // स्वान्ययोरुपकाराय, लिख्यते लेशतो मया / षडावश्यकसूत्राणां, व्याख्या बालाववोधिनी // 4 // पहिलउं सकलमंगलीकन मूल, श्रीजिनशासननउ सार, इग्यार अंग चऊद पूर्वनउ उद्धार, सदैव शाश्वतउ श्रीपंचपरमेष्ठिमहामंत्र नउकार (प्रति-परिचय) - आ बालावबोध 'प्राचीन गूजराती गद्यसंदर्भ' (प्रका० गूजगत विद्यापीठ, अमदाबाद, सं. 1986 )ना पृ० 161 थी 171 मांथी उतारीने अहीं आपवामां आव्यो छे / आ बालावबोधमां कर्ताए नमस्कार विशे अर्थ साथे विस्तृत माहिती आपो छे, एटलं ज नहीं नमस्कारना प्रभावनी छ कथाओ आपीने तेनुं माहात्म्य बताववानो प्रयत्न कर्यो छ / * आ कृतिना कर्ता श्रीहेमहंसगणि छ / श्रीसोमसुन्दरसूरिना शिष्य श्रीमुनिसुन्दरसूरिना हस्तदीक्षित शिष्यो पैकी श्रीहेमहंसगणि पण एक छे / श्रीजयचन्द्रसूरि अने चारित्ररत्नगणि तेमना विद्यागुरुओ हता। ___ आ हेमहंसगणिए न्यायसंग्रह-स्वोपज्ञ वृत्ति सहित, आरम्भसिद्धिवार्तिक, षडावश्यक बालाबबोध वगेरे अनेक ग्रन्थो रच्या हता / छेल्लो ग्रन्थ सं.० १५१०मां तेमणे रच्यो हतो। आ बालावबोधनी भाषा ए समयनी छ /