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________________ (297) सत्य महाव्रत-जैन परंपरा की भांति यहाँ असत्यभाषण तथा कटुभाषण भी वर्जित है।' इसी भांति अस्तेय व्रत का भी पालन करना बताया गया है। ब्रह्मचर्य महाव्रत-संयासी को ब्रह्मचर्य महाव्रत का पूर्णरूप से पालन करना चाहिए। वैदिक परंपरा में स्वीकृत मैथुन के आठों अंगों का सेवन उसके लिए वर्जित है। अपरिग्रह की दृष्टि से भिक्षु के लिए जलपात्र, पवित्र (जल छानने का वस्त्र), पादुका, आसन एवं कन्धा आदि सीमित वस्तुएँ रखने की अनुमति दी गई है। वायु पुराण में साधु संयासी के उपयोग में आने वाली वस्तुओं के नाम उल्लिखत है। जैन परंपरा की भांति वैदिक परंपरा में भी संयासियों को धातु पात्र निषिद्ध बताया गया है। जिसका उल्लेख मनुस्मृति में है। वहाँ कथन है कि "संयासी का भिक्षापात्र एवं जलपात्र मिट्टी, लकड़ी, तुम्बी या बिना छिद्रवाले बांस का होना चाहिये।" जैन परंपरा की भांति वैदिक परंपरा में भी इन पांचों ही महाव्रतों को स्वीकार किया गया है। हिंसा के अन्तर्गत त्रस-स्थावर का निषेध स्वीकार किया है। वैदिक परंपरा में भी बौद्ध परंपरा की भांति पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु में जीव सत्ता मान्य नहीं की गई। इसलिए उनकी हिंसा का उल्लेख नहीं किया गया, जबकि स्थूल और सूक्ष्म त्रस प्राणियों की तथा वनस्पति आदि जंगम या स्थावर प्राणियों की हिंसा न करना, स्वीकार किया गया है। सत्य पर विशेष जोर दिया गया है। असत्य उच्चारण कब किया जाय? उसके लिए उल्लेख है कि 'जब सत्य और अहिंसा में विरोध होने पर भी बोलना आवश्यक होने की स्थिति हो तथा न बोलने पर संदेह उत्पन्न होता हो, तब असत्य का अवलम्बन ले सकता है। ' महाभारत का यह दृष्टिकोण आचारांग से साम्य लिए हुए है। मनु ने भी ऐसी स्थिति के लिए कहा है कि यदि हिंसक अन्याय से भी कोई पूछे तो उत्तर नहीं देना चाहिये अथवा पागल की भांति अस्पष्ट हां-हूं प्रलाप करना श्रेयस्कर है। सत्य महाव्रत जैन परंपरा के अति निकट ही है, अत्यधिक साम्य लिए हुए है। मैथुन के आठ अंग जैन 1. मनुस्मति 6.47-48 3. वही 5. वही पृ. 493 7. महाभारत शांतिपर्व 326.13 2. महाभारतशांतिपर्व 9.19 4. धर्मशास्त्र का इतिहास भाग. 1 पृ. 413 6. मनुस्मृति 6.53-54 8. वही-पातंजलयोग प्रदीप पृ. 377
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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