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________________ (287) पुनः कहा गया है कि इस व्रत के भंग होने पर सभी व्रत तत्काल भंग हो जाते है, चूर-चूर हो जाते हैं, खंडित हो जाते हैं, उनका विनाश हो जाता है। जैन परम्परा में ब्रह्मचर्य जैन परम्परा में ब्रह्मचर्य व्यापक अर्थ में चर्चित है। प्रथम व सर्वप्राचीन अंगआचारांग का अपर नाम ही 'ब्रह्मचर्याध्ययन' है। ब्रह्मचर्य अध्ययन में प्रवचन का सार है और मोक्ष का उपाय प्रतिपादित है। मोक्ष प्राप्ति के लिए जितने भी आवश्यक सद्गुण और आचरण करने योग्य बातें हैं, वे सभी ब्रह्मचर्य में विद्यमान है। ब्रह्मचर्य में सारे मूलगुण और उत्तरगुणों का समावेश हो जाता है। आचार्य भद्रबाहू' के मन्तव्यानुसार भाव ब्रह्म दो प्रकार है-एक साधु का "बस्ती संयम" और द्वितीय साधु का "सम्पूर्ण संयम"। ___ साधु जीवन ग्रहण करते समय मुमुक्षु साधक महाव्रतों को स्वीकार करता है। इसमें चतुर्थ ब्रह्मचर्य है। वह देव संबंधी, मनुष्य संबंधी या तिर्यञ्च संबंधी सभी प्रकार के मैथुन का परित्याग करता है। मन-वचन-काया से न स्वयं मैथुन का सेवन करता है, न दूसरों से करवाता है, न मैथुन सेवन करने वालों का अनुमोदन करता है। ___ आचार्य अकलंक' ने अपना स्वतंत्र चिन्तन तत्त्वार्थ वार्तिक में प्रस्तुत किया है-हस्त, पाद, पुद्गल, संघट्टनादि से एक व्यक्ति का अब्रह्म सेवन भी मैथुन है। क्योंकि यहाँ पर एक व्यक्ति भी मोहोदय से प्रकट कामरूपी पिशाच से दो हो जाता है। दो हो जाने से उनका कर्म मैथुन कहलाता है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि पुरुष-पुरुष का, स्त्री-स्त्री के बीच जो अनिष्ट चेष्टाएँ हैं, वे भी अब्रह्म हैं। अब्रह्मचर्य आसक्ति और मोह का कारण होने से आत्मा के पतन का महत्त्वपूर्ण श्रमण के लिए समस्त प्रकार का मैथुन त्रिकरण और त्रियोग से वर्जित है। इस व्रत की साधना के लिए साधु को कठोरतम सावधानी रखनी पड़ती है। आंतरिक वैचारिक सावधानी के साथ ही साथ उससे अधिक सावधानी बाह्य जीवन एवं संयोगो के प्रति रखनी होती है। उच्च कोटि की साधना करने वाला साधु भी 1. आचा. नियुक्ति गा. 11 3. वही गा 30 की वृत्ति 5. दशवैकालिक 4.4, आचा. 2.15 7. तत्त्वार्थवार्तिक 7, 16.9 2. वही गा. 30 4. वही गा. 28 6. दश. 44, सम.५
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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