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________________ (213) छः छेदसूत्र (1) निसीह (निशीथ) 821 श्लोक प्रमाण आचार की पांचवीं चूला रूप में निर्देशित इस गद्यात्मक आगम का दूसरा नाम 'आचार प्रकल्प' है। इसके बीस उद्देशक है। पंचकप्पभास' नामक पूर्व में से इस आगम का नि!हण भी भद्रबाहूस्वामी ने किया है। अन्यमत से इसके कर्ता गणधर हैं। इसके अन्तिम उद्देशक में व्यवहार के बृहद् भाग को स्थान दिया गया है। साथ ही निशीथ के कितनेक सूत्र आचार की पहली दो चूलाओं से साम्य रखते हैं। (2) दसा (दशा) इस आगम के साथ 'सुयक्खंध' संलग्न करके भी इसका व्यवहार किया जाता है और 'आचारदसा' भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इस आगम को 'दसासुय' भी कहते हैं। इसमें दस अध्ययन हैं, जिसमें आठवें और दसवें अध्ययन को व अन्य सर्व को दशा के रूप में उल्लेख किया है। इसका अष्टम अध्ययन जो कि 'पज्जोसवणा कप्प' है जिसे कल्पसूत्र एवं बारसासूत्र भी कहा जाता है। इस आगम के कर्ता भी श्रुतकेवली भद्रबाहूस्वामी है। (3) कप्प (कल्प) इसके कल्पाध्ययन, बृहत्कल्प, बृहत्साधुकल्प एवं वेदकल्पसूत्र अन्य नामांतर भी है। इसमें छः उदेशक भी है। इसके प्रणेता भी श्रुतकेवली भद्रबाहू स्वामी है। यह प्रायश्चित सूत्र है। इसका प्रमाण 400 से 413 श्लोक जितना है। (4) व्यवहार (व्यवहार) 373 श्लोक प्रमाण इस आगम के 10 उद्देशक हैं। इसके प्रणेता भी भद्रबाहू स्वामी है। (5) जीतकप्प (जीतकल्प) जीत अर्थात् आचार। 103 गाथा और लगभग 200 श्लोक प्रमाण इस लघुकृति में आलोचनादि दस प्रकारों का वर्णन है। इसके कर्ता जिन भद्रगणि क्षमा श्रमण है, जो कि हरिभद्रसूरि के पूर्ववर्ती है। 1. पिस्तालीस आगमो पृ. 42-48
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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