________________ समर्पण जिन भव्यात्माओं ने जम्बुद्वीप भरतक्षेत्र के जिस किसी भी भूभाग की गिरिगुफाओं वा जिन पर्वतशिखरों पर योग-ध्यानरूढ़ हो, जिनत्व परमात्म का साक्षात्कार कर सिद्धत्वलाम किया है, जो प्रकृत परमात्व-अनुसन्धान में भी अदृष्ट सम्प्रेरक हैं, उन लाखों करोड़ों ऋषि-महर्षियों, यति-मुनिवरों, मनीषि-सन्तों को कोटि-कोटि शतश: वन्दन ..... वन्दन इन्हीं विशद परमज्ञानस्वरूप परमतत्त्व पंच परमेष्ठियों के सद्य:पूत चरण कमलों में सभक्ति सविनय सादर समर्पित -- जगमहेन्द्रसिंह राणा