________________ xxii पतित उपकरण का विधान, (घ) वसति या उपाश्रय - उपाश्रय कैसा हो? (1) अरमणीय उपाश्रय, (2) असकीर्ण उपाश्रय, (3) जीवोत्पति सभावनारहित, (4) अलिप्त उपाश्रय, (5) एकान्तस्थल, (6) परकृत स्थल; (ङ) साधु का आहार - (अ) साधु को आहार ग्रहण करने के छह कारण (1) क्षुधा-वेदना की शान्ति के लिए, (2) गुरु सेवार्थ, (3) ईर्यासमिति के पालनार्थ, (4) संयम पालनार्थ, (5) जीवन रक्षार्थ, (6) धर्म चिन्तनार्थ; (अ) साधु को आहार न ग्रहण करने के छह कारण (1) भयंकर रोग हो जाने पर. (2) आकस्मिक संकट के आ जाने पर, (3) ब्रह्मचर्यव्रत रक्षार्थ, (4) जीव रक्षार्थ, (5) तप करने के लिए, (6) समतापूर्वक जीवन त्यागार्थ; (इ) साधु का एषणीय आहार (1) बहुगृहग्रहीत भोजन, (2) परकृत भोजन, (3) अवशिष्ट भोजन, (4) अक्रीत भोजन, (5) अनियन्त्रित भोजन, (6) नीरस तथा परिमित भोजन; (उ) भिक्षाचर्या-भिक्षा के लिए कब जाए? कैसे चले? कैसी भिक्षा ग्राह्य है? आहार कैसे करना चाहिए? साधु का भोजन परिमाण, साधु का भोजन समय, (अ) बैठने की विधि, (ब) खड़ा रहने की विधि, (स) वाक-शुद्धि; (2) विशेष साध्वाचारः (अ) परीषहजय, (आ) सल्लेखना-(१) सल्लेखना आत्महनन नहीं, (2) सल्लेखना के भेद (क) भक्त प्रत्याख्यान, (ख) इंगिनीमरण, (ग) पादोपगमन, (3) सल्लेखना की अवधि, (4) सल्लेखना की विधि, (5) सल्लेखना के अतिचार (क) जीविताशंसा, (ख) मरणाशंसा, (ग) भय, (घ) मित्रस्मृति, (ङ) निदान; पांच अशुभ भावनाएं, (क) कन्दर्पभावना, (ख) अभियोग भावना, (ग) किल्विषिकी भावना, (घ) मोहभावना, (ङ) आसुरी भावना; (6) सल्लेखना का फल। (छ) साधु की 31 उपमाएं - (1) कांस्य पात्र, २-शंख, ३-कच्छप, ४-स्वर्ण, (5) कमलपत्र, (6) चन्द्र, (7) सूर्य, (8) सुमेरु, (6) सागर, (10) पृथ्वी, (11) भस्माच्छन्न अग्नि, (12) घृतसिक्त अग्नि, (13) गोशीर्षचन्दन, (14) जलाशय, (15) दर्पण, (16) गन्ध हस्ती, (17) वृषभ, (18) सिंह, (16) शारदजल, (20) भारण्ड पक्षी, (21) गेंडा, (22) स्थाणु, (23) शून्यगृह, (24) दीपक, (25) क्षुरधारा, (26) सर्प, (27) पक्षी,