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________________ 258 ६०-तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा (खण्ड-१): जैन दर्शन मे पञ्च परमेष्ठी डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री, अखिल भारतीय दिगम्बरजैनविद्वत्परिषद्,१६७४ ६१-दशभक्ति : कुन्दकुन्दाचार्य, संस्कृत टीका प्रभाचन्द्र, प्रकाशकः तात्या गोपाल शेटे, शोलापुर, 1621 ६२-दशवैकालिकसूत्र : वाचनाप्रमुख आचार्य, तुलसी,श्वे० तेरापंथी महासभा, कलकत्ता, वि० सं० 2020 ६३-दशवकालिकसूत्र : प्रकाशक श्री ऋषभदेव केसरीमल श्वेताम्बर (जिनदास चूर्णि) संस्था, रतलाम, 1633 64- दशवैकालिकसूत्र वृत्ति: / हरिभद्रसूरि, देवचन्द लाल भाई जैन पुस्तकोद्धार भण्डागार संस्था, वि० सं०१६७४ 65- दशाश्रुतस्कन्धसूत्र : टीकाकारः घासीलाल जी महाराज, अखिल भारतीय श्वे० स्थानकवासी जैनशास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, 1660 66- दीघ निकाय (भाग 1 व 2): सम्पादक एन० के० भागवत, बम्बई विश्वविद्यालय, बम्बई / 67- द्रव्यसंग्रह : नेमिचन्द्र,गणेश प्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला, काशी, 1666 ६८--धम्मपद: 66- धर्मबिन्दु : सम्पादकःभिक्षुधर्मरक्षित,मास्टरखेलाड़ी लाल,संकटाप्रसाद संस्कृत पुस्तकालय, कचौड़ी गली, वाराणसी, 1671 हरिभद्र सूरि, हिन्दी जैन साहित्य प्रचारक मंडल, नागजी भूधर की पोल, अहमदाबाद, वि० सं० 2007 पं० आशाधर, सम्पादकः सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री,भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, 1677 ७०-धर्मामृत (अनगार):
SR No.023543
Book TitleJain Darshan Me Panch Parmeshthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagmahendra Sinh Rana
PublisherNirmal Publications
Publication Year1995
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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